Tuesday, September 5, 2023

जो कल तक बाट रहें थें टिकट आज खुद टिकट की चाह में भटक रहें दरबदर

अनूपपुर - आमीन वारसी- कहतें है भगवान के घर देर है मगर अंधेर नही ये कलयुग है साहब धरती का हिसाब किताब इसी धरती पर ही हम सबको देना होगा ! अगर पेड़ बबूल का लगाएंगे तो आम की चाह बिल्कुल भी ना रखिये क्योंकि जैसा पेड़ वैसा ही फल मिलता है ! समय का पहिया जब उल्टा घूमता तो अच्छे अच्छों को ठिकाने लगा देता है ! ये चार लाइनें धरती पर भगवान बन बैठे उन नेताओं के लिए है जो ईश्वर की कृपा और जनता के आशीर्वाद से कुर्सी और पार्टी पद पाकर अपनें आप को धरती का भगवान समझ बैठते है ! जो अपनी ही पार्टी के कार्यकर्ताओं को नगरीय निकाय जैसे छोटे चुनावों में टिकट देने के लिए अपनें घर और कार्यालय का सैकड़ों चक्कर लगवातें है तरह तरह की गोलमोल बातें करतें है ! पार्टी के लिए समर्पित कार्यकर्ता टिकट पर चुनाव लड़ने की चाह लिए दर दर भटकता रहता है! यहाँ तक की मुह मागा पैसा भी देने को तैयार हो जाता है फिर भी कुर्सी पर बैठे जिम्मेदार नेता एवं टिकट वितरणकर्ता अपनें कार्यकर्ताओं से सीधे मुहं बात नही करतें ! नतीजा यह होता है कि अंत में थक हार कर वही कार्यकर्ता निर्दलीय चुनाव मैदान पर उतर जाता है ! या फिर चुपचाप अपना मन मारके घर बैठ जाता है जो निर्दलीय चुनाव लड़ता है उसे पार्टी निष्कासित कर दिया जाता है फिर भी वो कार्यकर्ता अकेले ही अपनें बलबूते चुनाव जीतकर टिकट वितरण कर्ताओं के मुहं पर जोरदार तमाचा जड़ देता है ! बीते नगरीय निकाय चुनाव में यह देखा गया है कि किस तरह से पार्टी कार्यकर्ता टिकट पाने के लिए परेशान थें अंत में थककर कुछ घर बैठ गए और कुछ ने निर्दलीय चुनाव लड़ कर टिकट वितरण कर्ताओं को शानदार जवाब दे दिया ! थक हार कर दुखी होकर घर बैठ गए कार्यकर्ताओं के दिल से एक बंदुआ निकली थी जो विधानसभा चुनाव आतें आतें काम कर गई ! 

आलम यह है कि जो कल तक पार्टी का टिकट बाट रहें थें आज उन्हें खुद पार्टी टिकट के लिए लाले पड़ गए है टिकट वितरण कर्ता टिकट के लिए दरबदर भटक रहें शक्ति प्रर्दशन कर रहें टिकट की चाह लिए नेता बीजेपी कांग्रेस कार्यालय भोपाल का दिन रात चक्कर लगा रहें है ! लेकिन अभी तक तो निराशा ही हाथ लगी है अब देखना यह है कि बीते वक्त में पार्टी कार्यकर्ताओं के दिल से निकला हुआ श्राप आगें और कितना असरदार होगा !

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