Monday, August 22, 2022

कोतमा नगर पालिका बना भ्रष्टाचारी नेताओं के लिए चारागाह


कोतमा- आमीन वारसी- ऐसा हम इसलिए कह रहें कि जो भी व्यक्ति नेता एक बार चुनाव जीतकर नगर पालिका परिषद का कार्यभार संभाल लेता है मानो फिर वो व्यक्ति नेता उस पद को छोड़ना ही नही चाहता! आखिर क्यू नगर पालिका में ऐसा क्या है आखिर क्यों एक नेता अपना सब कुछ दाव पर लगाकर लाखों रुपए खर्च करके नगर पालिका अध्यक्ष एवं वार्ड पार्षद बनना चाहता है! जबकि एक पार्षद का वेतन मात्र 2500 सौ रुपए और नगर पालिका अध्य्क्ष  का वेतन मात्र 5 से 6 हज़ार रुपए होता है! मतलब एक पार्षद का वेतन एक साल में 30000 तीस हज़ार रुपए 5 साल में 150000 डेढ़ लाख रुपए और नगर पालिका अध्य्क्ष का वेतन एक साल में लगभग 60 हज़ार रुपए वही 5 साल में 3 लाख रुपए लगभग मिलता है! अध्य्क्ष पार्षद की कोई अलग से निधि या मद नही होता फिर भी वार्ड पार्षद एवं नगर पालिका अध्य्क्ष बनने के लिए नेता के पास पैसा ना होने पर भी अपनी संपत्ति बेचकर  या गिरवी रखकर चुनाव लड़ता है! जीत गया तो मालामाल हार गया तो कंगाल! नेताओं के बार बार चुनाव लड़ने की जद्दोजहद को देखकर साफ़ जाहिर होता है कि नगर पालिका अध्य्क्ष पार्षद की कुर्सी पर बने रहने वाले नेताओं के लिए नगर पालिका चारागाह बन चुकी है और नेताओं द्वारा जमकर भ्रष्टाचार किया जाता है ! 

नगर पालिका में कैसे की जाती है हेराफेरी-

जैसे सड़क नाली निर्माण सहित अन्य निर्माण कार्य का मनचाहें ठेकेदार को टेंडर दे देना फिर उसके एवज में ठेकेदार से मनचाहें तरीके से कमीशन लेना कोतमा हाट बाज़ार बैठकी वसूली में हेराफेरी पशु बाज़ार वसूली में हेराफेरी साथ ही नगर पालिका द्वारा बिजली समाग्री खरीदी में हेराफेरी  पानी सप्लाई संबंधित समाग्री खरीदी में हेराफेरी साफ़ सफाई समाग्री खरीदी में हेराफेरी स्टेशनरी समाग्री खरीदी में हेराफेरी नगर पालिका वाहन खरीदी  डीजल एवं वाहन रिपेयरिंग की हेराफेरी करने सहित केन्द्र एवं राज्य सरकार द्वारा नगरीय विकास योजना के लिए दिए जानें वाला फंड करोड़ों रुपए गोलमाल किया जाता है ! इसलिए नेताओं से नगर पालिका की कुर्सी छोडी़ नही जा रही कोई भी आम व्यक्ति नेता समाज सेवा नगर सेवा करने के लिए लाखों रुपए खर्च करके चुनाव नही लड़ता! अब भी समय है नगर की जनता को ये समझना होगा और सोच समझकर फैसला करना होगा क्योंकि जनता का फैसला ही सर्वपरि है !

No comments:

Post a Comment