Monday, June 20, 2022

तो क्या भारतीय जनता पार्टी दलालों की पार्टी है


कोतमा- आमीन वारसी- ना बाबा ना ऐसा मै नही अशोक नगर- गुना से भारतीय जनता पार्टी की पूर्व महिला मोर्चा अध्यक्ष रचना नायक कह रही है कि भारतीय जनता पार्टी दलालों की पार्टी है भारतीय जनता पार्टी पदाधिकारियों द्वारा पैसे लेकर टिकट वितरण किया जा रहा है ! अब सच क्या है ये भारतीय जनता पार्टी की नेता रचना नायक और भारतीय जनता पार्टी ही जानें! वैसे मध्यप्रदेश नगरीय निकाय में पार्षदों के टिकट बंटवारे के बाद शहर-शहर हंगामा और प्रदर्शन की तस्वीरें देखने को मिल रही है! बीजेपी कांग्रेस में विद्रोह की ये तस्वीरें आम हैं! ऐसा नहीं है कि ये खबरें सिर्फ भोपाल, देवास, ग्वालियर अशोक नगर गुना से आ रही हैं ! बल्कि पूरे प्रदेश में टिकट कटने से नाराज़ दावेदारों ने बवाल कर रखा है। अपनी ही पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है! दोनों ही दलों में इस्तीफों की झड़ी लग गई है। पार्टी कार्यालय, सांसदों, विधायकों के बंगलों पर नारेबाजी हो रही है ! टिकट की सिफारिश करने वाले नेता दावेदारों से मुंह छिपाए फिर रहे हैं! दोनों ही दलों ने आखिरी वक्त पर टिकट डिक्लेयर किए हैं ताकि दावेदारों की बगावत का नुकसान कम से कम हो सके! हालांकि दावेदारों ने पहले ही नामांकन दाखिल कर दिए थें लेकिन अब बीजेपी कांग्रेस की मुसीबत बढ़ चुकी है ! पहले वफादार कार्यकर्ताओं की बगावत फिर पब्लिक की नाराजगी, लिहाजा अपील के सिवाए नेताओं  के पास दूसरा कोई रास्ता नहीं बचा है! दावेदारों के बागी तेवर से दोनों दल सहमें हुए हैं!बीजेपी के सामने अपने किले को बचाए रखना सबसे बड़ी चुनौती है! पिछली बार नगर निगम चुनाव में बीजेपी ने क्लीन स्वीप किया था, इसलिए बीजेपी के सामने 16 नगर निगम बचाए रखने की चुनौती है ! वहीं कांग्रेस इस दफा खाता खोलने की उम्मीद से चुनावी मैदान में है! दरअसल मध्यप्रदेश में साल 2015 में नगरीय निकाय चुनाव हुए थे ! तब बीजेपी ने मध्यप्रदेश के 16 के 16 नगर निगम जीती थी! वही कांग्रेस शून्य पर सिमट गई थी.उस वक्त बीजेपी के 511 पार्षद जीते थें और कांग्रेस निर्दलीय मिलाकर 363 पार्षदों की जीत हुई थी. प्रदेश की 98 नगर पालिकाओं में 53 अध्यक्ष बीजेपी के बने थे वही कांग्रेस के 39 अध्यक्ष बने थें! नगर पालिकाओं में 1362 पार्षद बीजेपी के जीते थें और कांग्रेस-निर्दलीय मिलाकर 1332 पार्षदों की जीत हुई थी.अब कांग्रेस विधानसभा चुनाव के पहले शहरों की सरकार बनाकर 2023 के विधानसभा चुनावों की जमीन मजबूत करने की कोशिश में लगी हुई है ! 

जबकि बीजेपी कांग्रेस निकाय चुनाव में जीत हासिल कर अपने अपने कार्यकर्ताओं का हौसला बढ़ाने में लगी  हुई है! नाराज नेताओं और कार्यकर्ताओं को मनाने के लिए अब दोनों पार्टियों के दिग्गज नेता सक्रिय हो गए हैं ! दोनों राजनीतिक दलों ने अपने प्रभावशाली नेताओं को रूठे कार्यकर्ताओं को मनाने की जिम्मेदारी सौपी है! लेकिन दिग्गज टिकट के दावेदारों का गुस्सा देखकर ना उम्मीद भी हो रहे हैं! एक बात तो तय है कि जो शहर और गांव की सरकार बनाएगा वही 2023 में सत्ता के सबसे करीब पहुंच जाएगा !

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