Wednesday, June 15, 2022

गरीब बुजुर्ग आदिवासी पर हुआ अत्याचार और आदिवासियों के नेता मौन-

 कोतमा- आमीन वारसी- शहडोल संसदीय क्षेत्र के जैतपुर तहसील अंतर्गत अवैध कब्जा हटाने गए प्रशासनिक अमले की लापरवाही के कारण बुजुर्ग आदिवासी के ऊपर दीवार गिर गई! जिससे बुजुर्ग आदिवासी को गंभीर चोट आई है ! बुजुर्ग का हाथ फैक्चर हो गया है! उसे इलाज के लिए मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया है! जो शायद इस चोट से कभी न उभर पाएं क्योंकि समनु कोल बुजुर्ग हो गया है और इस तरह के गंभीर चोट से उभरने के लिए पैसा चाहिए जो उस गरीब के पास नही है! दरअसल जैतपुर में आदेश के बाद तहसीलदार और पुलिस की मौजूदगी में निजी जमीन से अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही की जा रही थी! उसी दौरान गरीब आदिवासी समनु कोल बुजुर्ग के ऊपर दीवार गिर गई! हैरत की बात यह है कि आदिवासी समनु कोल न तो भू माफिया है और न ही शासकीय भूमि में कब्जा किया है! फिर भी समनु कोल को जैतपुर तहसीलदार की ओर से 13 जून को एक नोटिस जारी किया गया था, जिसमें उल्लेखित किया गया था कि इंद्रजीत सिंह परिहार की ओर से आवेदन  दिया गया है जिस पर खसरा नंबर 715 के अंश रकवा से कच्ची दीवार हटाने का आदेश पारित हुआ है! नोटिस के दूसरे दिन ही 14 जून को तहसीलदार समेत पुलिस अमला मौके पर पहुंच गया और ट्रैक्टर से दीवार गिराने लगे! इस दौरान गरीब आदिवासी समनु कोल उसकी चपेट में आ गया! समनू कोल को गंभीर हालत में स्थानीय अस्पताल ले जाया गया, जहां उसे प्राथमिक उपचार उपरांत शहडोल अस्पताल रेफर कर दिया गया! समनू और उसका परिवार उस जमीन पर 16 साल से काबिज है ! 

अब सवाल यह उठता है कि समनू एक गरीब आदिवासी व्यक्ति है वह न तो कोई भू माफिया है और न ही किसी शासकीय जमीन पर काबिज है! फिर भी मात्र एक दीवार अतिक्रमण हटाने के लिए प्रशासन ने इतनी तेजी दिखाई जिससे यह साफ़ जाहिर होता कि उक्त दिवार हटाने के लिए सिंह साहब ने निश्चित ही गाधीं जी का इस्तेमाल किया है ! 
या फिर तहसीलदार ने सत्ता के दबाव में आकर उक्त अतिक्रमण को आनन फानन में हटाया है ! और उक्त दीवार अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही के दौरान ही गरीब आदिवासी समनु कोल के साथ घटना घटित हो गई! 

वहीं इस संबंध में तहसीलदार चंद्र कुमार का कहना है कि इंद्रजीत सिंह परिहार की जमीन पर बने बाउंड्रीवाल के बेदखली कार्यवाही की जा रही थी! तभी गलती से समनु चपेट में आ गया जिससे उसको चोट आ गई!
 ये कोई नई बात नही है सदियों से गरीब आदिवासियों के साथ इस तरह का अमानवीय व्यवहार किया जा रहा है!

इसमें हैरान परेशान होने की कोई बात नही-

 प्रतिदिन कोई न कोई गरीब आदिवासी माफियाओं दबंगों के जुल्म का शिकार हो रहें है! बीते दिनों सिवनी क्षेत्र में राजनैतिक दलों के गुंडों ने दो आदिवासी व्यक्तियों को पीट पीट मार डाला था! एक बात और इस तरह के मामले में प्रशासन बराबर अपनी सहभागिता निभाता है! और 40-50 साल से सत्ता का सुख भोग रहें गरीब आदिवासियों के हितैषी मसीहा कहें जानें वाले आदिवासी नेता मंत्री विधायक सासंद जनजाति समाज आदिवासियों पर हो रहें अत्याचार पर खामोश नज़र आते है ! 

आदिवासियों की सैकड़ों एकड़ जमीन पर दबंगों का कब्जा-

जिस तरह जैतपुर तहसीलदार ने बुजुर्ग आदिवासी पर दीवार गिराकर सिंह साहब को राहत दी है! ठीक उसी तरह जैतपुर तहसील अंतर्गत कई आदिवासियों की जमीन पर निश्चित ही दबंग माफिया का भी कब्जा होगा! अच्छी तरह से जाचं कराकर अपनी जिम्मेदारी समझ कर पूरी ईमानदारी से उक्त अवैध अतिक्रमण को भी हटाएं!

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