Tuesday, June 14, 2022

आदिवासी जनजातीय समाज के हितैषी मसीहा ठेकेदारों की खुली पोल


कोतमा- आमीन वारसी- जैसा कि हम सभी जानतें है कि शहडोल संभाग आदिवासी बहूल्य क्षेत्र है जहाँ लाखों की तादाद में अनपढ़ सीधे साधे आदिवासी समाज के लोग मेहनत मजदूरी खेती बाड़ी करके अपना जीवन यापन कर रहें! शासन प्रशासन द्वारा चलाई जा रही जन कल्याणकारी योजनाओं का भी इन्हें विशेष लाभ नही दिया जाता है!और इन गरीब आदिवासियों के मसीहा बने शहडोल संभाग के पढ़े लिखे नेता मंत्री विधायक सासंद राजनैतिक दलों से मिलकर सिर्फ अपना उल्लू सीधा कर रहें है! जनजातीय समाज का चुनाव के दौरान ठेका लिए हुए शहडोल संभाग मानें जानें आदिवासी नेता बिसाहू लाल सिंह जय सिहं मरावी नरेंद्र मरावी हिमांद्री सिंह ज्ञान सिंह सुदामा सिंह राम लाल रौतेल सहित शहडोल संभाग के तमाम आदिवासी नेता शहडोल संभाग के अनपढ़ भोले भाले आदिवासी समाज के लोगों की मजबूरी का फायदा हमेशा से उठाते चलें आ रहें है! ये आदिवासी नेता सिर्फ और सिर्फ अपनी राजनीति चमकाने और कुर्सी पर बने रहने के लिए समय समय पर इन भोले भाले अनपढ़ जनजातीय समाज के लोगों को बरगला कर धन का लालच देकर झूठे वादे करके राजनैतिक सभाओं में एकत्रित कर लेते है! जिससे देश प्रदेश स्तर के बड़े नेता यह देखले कि शहडोल संभाग के इन आदिवासी नेताओं का शहडोल संभाग एवं अनूपपुर जिले में बड़ा जनाधार है! जबकि जमीनी हकीकत यह है कि ये फर्जी जनाधार दिखाकर ये शहडोल संभाग के आदिवासी नेता अपनी पार्टी देश प्रदेश के बडे़ नेताओं को खुश करते हुए अपनी जेब भर रहें है! 

वर्षो से इस क्षेत्र में आदिवासी विधायक सासंद फिर भी आदिवासी समुदाय परेशान-

80 के दशक से शहडोल संसदीय क्षेत्र के आदिवासी नेता आदिवासियों का वोट पाकर सासंद विधायक मंत्री बनते चले आ रहें है! फिर भी आदिवासी समाज के लोग आगें नही बढ़ सकें! सिर्फ वही आदिवासी परिवार शिक्षित व सम्पन्न हो सका जो थोड़ा पढा़ लिखा एवं नौकरी वाला है या फिर मजबूत किसान है जिसकी बड़ी तादाद में खेती किसानी है! बाकी शहडोल संभाग के लाखों आदिवासी आज भी दूसरों की मजदूरी कर रहें है! कुछ दर दर की ठोकर खा रहें आखिर ऐसा क्यू वर्षों से गरीब आदिवासियों के दम पर कुर्सी पर बने रहने वाले अपनी राजनीति चमकाने वाले सासंद विधायक मंत्री आदिवासी जनजातीय समाज के लोगों के लिए क्या किया है! अगर इन नेताओं द्वारा आदिवासी जनजातीय समाज का भला किया गया होता तो शायद आज आदिवासी समुदाय की तकदीर व तस्वीर बदल गई होती लेकिन ऐसा नही हुआ इसलिए आज आदिवासी जनजातीय समाज परेशान है ! 


ताजा उदाहरण-

 कैबिनेट मंत्री बिसाहूलाल सिंह के ग्रह नगर पालिका परिषद पसान अंतर्गत वार्ड नं 16 हनुमान दफाई भालूमाडा़ निवासी शिवप्रसाद कोल ने बताया कि मेरा पुत्र संतोष कुमार जन्म से दिव्यांग विकलांग नहीं था! जन्म उपरांत अचानक 3 वर्ष बाद धीरे धीरे उसके दोनों हाथ पैर काम करना बंद कर दिया जिसे लेकर कई जगह गया पुत्र संतोष कोल का कई डॉक्टरों से चेकअप कराया! यहां तक की मानसिक विकास केंद्र तिलक नगर शिव हनुमान के पास (नवापारा) बिलासपुर छत्तीसगढ़ परीक्षण परामर्श केन्द्र में ले जाकर जाचं कराया गया  साथ ही जिला चिकित्सालय अनूपपुर में भी जाचं कराया गया! तो डॉक्टरों की टीम ने पुत्र संतोष कोल को 100% दिव्यांग विकलांग जरूर बताया गया लेकिन प्रमाण पत्र नही दिया गया! 

जिसे लगभग 25 वर्ष होने को आए लेकिन आज दिनांक तक गरीब आदिवासी असहाय दिव्यांग विकलांग  संतोष कोल की ओर शासन प्रशासन द्वारा कोई ध्यान नही दिया गया और न ही संतोष कोल को विकलांगता का प्रमाण पत्र दिया गया न शासन की किसी भी योजना का लाभ! अब इससे साफ जाहिर होता है कि शहडोल संभाग के गरीब आदिवासी जनजातीय समाज के हितैषी मसीहा कहें जानें वाले बिसाहूलाल सिंह जय सिंह मरावी नरेन्द्र मरावी हिमांद्री सिंह ज्ञान सिंह सुदामा सिंह रामलाल रौतेल सहित अन्य छोटे बड़े आदिवासी नेता जनजातीय समाज के लिए कितने  सजग है! यहाँ तक कि मैदान पर स्वास्थ्य अमला नगर पालिका पसान के जिम्मेदार जनप्रतिनिधि अधिकारी कर्मचारी सहित पसान क्षेत्र के मंडल कमंडल फलाना मोर्चा ढेकाना मोर्चा फलाना प्रकोष्ठ ढेकाना प्रकोष्ठ के लोग भी दिव्यांग विकलांग संतोष कोल को शासन की योजना का लाभ दिलानें में कोई दिलचस्पी नही दिखा रहें है ! 

 नेताओं द्वारा 25 वर्ष से किए जा रहें झूठे वादे-   

शायद माता सिया बाई को यह नही मालूम कि वादा अक्सर टूट जाया करते है और कोशिशें कामयाब होती है इसीलिए नेता हमेशा वादा ही करते है कोशिश कभी नही! वो नेता ही क्या जो जनता से किया गया वादा पूरा करें! ऐसा ही एक वादा दिव्यांग विकलांग संतोष कोल की माँ सियाबाई से किया जाता रहा सिया बाई ने बताया कि नेतागण चुनाव के समय मेरे घर आकर उनके पक्ष पर मतदान करने को कहा जाता है उस वक्त कई लुभावने वादे भी किए गए! लेकिन लगभग 5 बार लोकसभा एवं विधानसभा और नगर पालिका पसान चुनाव में हम लोग मतदान कर चुके है!लेकिन चुनाव प्रक्रिया समाप्त होने के बाद सभी नेता यह भूल जातें है कि मूझ गरीब का पुत्र विकलांग है और चुनाव के दौरान वोट मांगते वक्त गरीब परिवार से कुछ वादा किया है! पीड़ित संतोष कोल की मां ने कहा कि कई बार नेताओं और अधिकारियों से मदद की गुहार लगा चुकी हूँ लेकिन किसी ने भी एक नही सुनी, 25 वर्ष से दिव्यांग विकलांग पुत्र को शासन की योजना का लाभ से वंचित रखा गया अब तक  शासन की जन कल्याणकारी योजना अंतर्गत पेंशन योजना का लाभ नही दिया गया और न ही साइकिल मिल सकी! मजे कि बात यह कि शासन प्रशासन द्वारा कोरोना वैक्सीनेशन 100 ℅ का जो ढीढोरा पीटा गया था उसकी भी पोल विकलांग संतोष कोल के परिवार ने खोलकर रख दी है! अब क्या कहेंगे जिला कलेक्टर अनूपपुर विधायक एवं कैबिनेट मंत्री जी हाँ एक काम अच्छा हुआ है जो नेताओं द्वारा दिव्यांग विकलांग संतोष कोल का नाम मतदाता सूची में जुड़वा दिया गया है! वो भी इसलिए कि विकलांग को बेवकूफ बना कर वोट ले लिया जाए ये है नेताओं की असलियत ! 

अगर इस खबर को पढ़कर किसी नेता जी को मिर्ची लगे तो सबसे पहले शहडोल संसदीय क्षेत्र के एक एक गाँव घूमकर एक एक आदिवासी जनजातीय समाज व्यक्ति के पास जाकर उसकी समस्या का समाधान करें! और अगर फिर भी न मिले तो मुझसे संपर्क करें और मेरे साथ चले मै ऐसे हजारों गरीब आदिवासियों को जानता हूँ जिनके हालात बद से बदतर है !

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