कोतमा- आमीन वारसी- भले ही मध्यप्रदेश शिवराज सरकार किसान हितैषी होने का ढोंग कर रही हो लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है! बता दे कि मध्यप्रदेश के जन प्रिय न्याय प्रिय कर्मवीर घोषणा वीर गरीबों के मसीहा किसानों के हितैषी यशस्वी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की चौथी पारी के दो वर्ष पूरे हो चुकें है! जहाँ एक ओर भारतीय जनता पार्टी के तमाम पदाधिकारी कार्यक्रर्ता एवं भक्तगण लोक कल्याण दिवस कार्यक्रम में खुशियाँ मना रहें है ! तो वही दूसरी ओर कोतमा तहसील अंतर्गत निवासरत वर्षों से परेशान पीड़ित किसान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को श्राप दे रहें है !
वो इसलिए कि जब शिवराज सिंह जी अपनी तीसरी पारी खेल रहें थें वर्ष 2016-17 में शिवराज सिंह जी अपने बिजनेस पार्टनर दिलीप बिल्डिंकान के साथ मिलकर शहडोल से छतीसगढ़ सीमा डोला तक नेशनल हाईवे सड़क का निर्माण किया था जिसमें एमपी आर डीसी शहडोल एवं अनूपपुर कलेक्टर को आदेश दिया गया था कि नेशनल हाईवे निर्माण हेतु कृषकों की भूमि अधिग्रहण कर लो अर्थात छीन लो! फिर क्या था माननीय मुख्यमंत्री का आदेश मिलते ही एमपी आर डी सी अधिकारी अवधेश तिवारी तत्कालीन अनूपपुर कलेक्टर अजय शर्मा एवं श्रीमती अनुग्रह पी तत्कालीन के द्वारा कोतमा एस डी एम की कुर्सी पर बैठने वाले अधिकारी को भू अर्जन बनाया गया जिसमें सबसे पहले भू अर्जन रहें ! तत्कालीन कोतमा एस डी एम आर एन सिंह के आदेश पर तत्कालीन कोतमा तहसीलदार टी आर नाग एवं अंतु सिंह कोतमा हल्का आर आई राम सिंह धुर्वे तत्कालीन कोतमा हल्का पटवारी शिवकुमार पटेल सहित अन्य हल्का आर आई पटवारी कोतमा तहसील अंतर्गत कृषि कार्य की भूमि वास्तविक किसानों एवं कुछ पूजी पतियों की भूमि अधिग्रहण करने में जुट गए ! पता नही कौन सा गुणा गणित किया गया कि किसानों की भूमि तो अधिग्रहण कर ली गई!लेकिन आज दिनांक वास्तविक कृषकों को मुआवजा राशि नही मिल पाई! और जिम्मेदार अधिकारी ने पूजी पतियों से मुआवजा राशि के बदले 10%20% कमीशन लेकर तत्काल मुआवजा वितरण कर दिया गया! किसानों का कहना है कि हम लोगों ने कमीशन नही दिया तो आज भी दर दर भटक रहें!सीधी सी बात है कि पीड़ित किसान शिवराज सरकार एवं उनके अफसरानो की धोखाधड़ी छलावे का शिकार होकर अपनी जमीन अधिग्रहण कराकर मुआवजा राशि पाने के लिए बीते 4 वर्ष से संभागायुक्त कार्यालय जिला कार्यालय सहित स्थानीय कार्यालयों का चक्कर काट रहें है! जबकि भूमि अधिग्रहण के दौरान मौजूद आर आई पटवारी सहित वर्तमान आर आई पटवारी ने संभागायुक्त कार्यालय शहडोल में उपस्थित होकर अपना प्रतिवेदन देने के साथ ही यह बयान दिया है कि किसानों की भूमि अधिग्रहित की गई है और अब तक मुआवजा नही पाएं है फिर भी शिवराज सरकार व अफसरों को यकीन नही हो रहा कि पीड़ित किसान वर्षों से परेशान है!पीड़ित किसानों का सीधा आरोप है कि हमारी कृषि कार्य करने वाली भूमि लूटने वाले प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान व उनके नुमाइंदे ही है जो अपनी चौथी पारी की खुशियाँ मना रहें! वही पैसे के आभाव के कारण पीड़ित किसान जीवन चौधरी की बेटी का विवाह रिश्ता टूट गया तो पीड़ित किसान श्राप तो देगें ही!
आखिर कलेक्टर महोदया कौन सी जाचं कराना चाहती -
पीड़ित किसानों का कहना है कि अनूपपुर कलेक्टर सोनिया मीणा आखिर कौन सी जाचं का इन्तजार कर रही है और किस तरह की जाचं कराना चाहती है! क्या कलेक्टर महोदया को अपने ही अधिनिस्त अधिकारी कर्मचारी जैसे अनूपपुर तहसील एवं कोतमा तहसील में पदस्थ तहसीलदार एस एल आर,आर आई पटवारी के जाचं प्रतिवेदन पर भरोसा नही है! हम ऐसा इसलिए कह रहें कि पीड़ित किसानों की शिकायत पर संज्ञान लेते हुए मुख्यमंत्री ने महा भष्ट्राचारी कहें जाने वाले तत्कालीन कोतमा एस डी एम मिलिन्द नागदेवे को निलंबित किया था! साथ ही कमीश्नर शहडोल राजीव शर्मा के आदेश पर बीते माह जनवरी 2022 में पीड़ित किसानों की अधिग्रहित भूमि की पुनः जाचं कराई गई थी ! जिसके लिए एक टीम गठित की गई थी उक्त जाचं रिपोर्ट के आधार पर ही कमीश्नर शहडोल ने पीड़ित किसान एमपी आर डी सी शहडोल एवं जाचं टीम में शामिल अधिकारी कर्मचारियों की जाचं रिपोर्ट एवं बयान को दर्ज किया गया था ! तथा सभी पहलूओं की जाचं व बयान सुनने के बाद कमीश्नर शहडोल ने अनूपपुर कलेक्टर को आदेश दिया था कि जल्द ही पीड़ित किसानों को मुआवजा राशि वितरण कराएं ! लेकिन प्रभावित किसान हिमांशु अग्रवाल ने बताया कि जब अनूपपुर कलेक्टर महोदया से मुआवजा राशि के संबंध में बात की तो कलेक्टर महोदया का कहना है कि अभी 5-6 महीने लगेगें जाचं कराएंगे जाचं उपरांत मुआवजा राशि वितरण की जाएगी ! तो कलेक्टर महोदया से मेरा यही कहना है कि आपके द्वारा जो जाचं जनवरी माह में कराई गई थी ! क्या उक्त जाचं सत्य नही है क्या आपके द्वारा गठित टीम ने ठीक से जाचं नही की !
या फिर आप जाचं के नाम पर अब तक पीड़ित किसानों को गुमराह कर रही थी या पीड़ित किसानों की गरीबी का मजाक उड़ा रही थी !
अगर शासन प्रशासन गरीब पीड़ित किसानों की जमीन लूटने के बाद मुआवजा राशि नही देना चाहते तो ना दे ! लेकिन कम से कम गरीब किसानों का मजाक तो मत उड़ाईए !
इस खबर के माध्यम से कलेक्टर महोदया से मेरा सीधा यही कहना है कि सिर्फ और सिर्फ कमीशन के चक्कर में अब तक पीड़ित किसानों को मुआवजा राशि नही मिल पाई! जिसके जिम्मेदार तत्कालीन कोतमा एस डी एम मिलिन्द नागदेवे एवं शहडोल एम पी आर डी सी अधिकारी अवधेश तिवारी है! दूसरा कोई नही! अगर इन पर कार्यवाही कर सकती है तो करिए अन्यथा आपको उक्त मामले की हज़ार बार जाचं करानी है करा लीजिए लेकिन सत्य यही है और अगर ये सत्य नही है तो फिर आप इतना बता दीजिए कि 31-32 प्रभावित किसानों में सिर्फ दो व्यक्ति (अजीमुददीन,भोचू एवं अश्विन कुमार) को मुआवजा राशि वितरण क्यों की गई और फिर कोतमा एस डी एम कार्यालय से मुआवजा वितरण फाइल गुम कैसे हो गई ! उक्त मामले में ही कोतमा एस डी एम रीडर विवेकानंद श्रीवास्तव के विरुद्ध तत्कालीन कोतमा एस डी एम ऋषि सिघंई की शिकायत पर आखिर कोतमा थाने में 420 का मामला दर्ज क्यों हुआ था ! उक्त मामले में ही मिलिन्द नागदेवे को निलंबित क्यों किया गया! एक ओर शासन प्रशासन दोषी अधिकारी कर्मचारी पर कार्यवाही करके यह खुद साबित कर रहें है कि पीड़ित किसानों के साथ अन्याय हुआ है दूसरी ओर यह कहते है कि अभी जाचं चल रही आखिर कब तक जाचं के नाम पर पीड़ित किसानों को गुमराह किया जाएगा!किसानों का कहना है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह और उनके अफसरों ने मिलकर हम गरीब किसानों की जमीन छीन कर हमें इस समस्या में उलझाया गया है!तो समाधान भी शिवराज सरकार को ही करना होगा! जब तक हम पीड़ित किसानों को मुआवजा राशि नही मिलेगी तब तक हम लोग शिवराज सरकार पर इसी तरह का आरोप पीड़ित किसान लगाते रहेगें !
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