Tuesday, December 14, 2021

आखिर किसके चश्मे से देखी जा रही नगर की स्वच्छता

 कोतमा- आमीन वारसी- मध्यप्रदेश सरकार भले ही स्वच्छता अभियान चलाकर प्रदेश में करोड़ों रूपये खर्च कर चुकी है।लेकिन स्वच्छता अभियान की जमीनी हकीकत कुछ और ही है।वार्ड नं 1 पुराने रेल्वे फाटक अंडर ब्रिज रोड स्थित नाली को देखकर स्वच्छता का  अंदाजा लगाया जा सकता है कि रेल्वे से आराजी से लगी नगर पालिका की नाली जिसमें पूरे नगर का गंदा पानी उक्त नाली से होकर बाहर की ओर निकलता है।उसकी साफ़ सफाई सालों से नही हुई है पूरी नाली जाम है नाली में कचड़ा भरा पड़ा है।जिसकी साफ़ सफाई के लिए वार्ड वासियों ने कई बार वार्ड पार्षद सहित नगर पालिका अधिकारी कर्मचारियों से कहाँ लेकिन उक्त नाली की सफाई नही हो रही है।उक्त नाली के बगल से रेल्वे की तरफ बहोत गाजर घास लगें हुए थें जिसे रेल्वे प्रशासन द्वारा साफ करवाया गया मगर आज तक नगर पालिका द्वारा नाली साफ़ नही कराई गई।तो ऐसे में नगर वासी कैसे कह सकते हैं कि कोतमा नगर की स्वच्छता बेहतर है।चाहे भले ही नगर प्रशासन स्वच्छता अभियान के नाम पर वाही वाही लूटती रहें।


कर्मचारियों के पास गंमबूट नही है सी एम ओ साहब- 

नगर में विकास की गंगा बहाने वाली नगर पालिका के पास सफाई कर्मचारियों को गंमबूट खरीद कर देने के लिए पैसा नही है ऐसा मै नही वार्ड नं 1 अंडर ब्रिज रोड स्थित निवासरत आशीष जैन असीम जैन सहित अन्य लोगों का कहना है कि नगर पालिका के सफाई कर्मचारी से उक्त नाली को साफ़ करने को कहा गया तो कर्मचारी ने कहा कि मेरे पास गंमबूट नही है अगर बगैर गंमबूट के नाली सफाई करने उतरेगा तो किसी प्रकार के कीड़े मकोड़े आदि से जनहानि हो सकती है।सफाई कर्मचारी का कहना बिल्कुल सही भी है।लेकिन एक बात नगर की आम जनता के समझ से परे है कि जब नगर पालिका सफाई कर्मचारियों को काम करने के लिए समान उपलब्ध नही करा पा रही तो फिर नगर स्वच्छता के लिए जो पैसा आता है।आखिर वो कहा खर्च हो रहा और नगर की स्वच्छता कौन सा चश्मा लगाकर देखी जा रही।

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