कोतमा- आमीन वारसी- ब्लाक कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष मनोज सोनी कहा कि ऐसा पहली बार नही हुआ कि केन्द्र की मोदी सरकार ने कृषि कानून वापस लेकर कोई मास्टर स्ट्रोक या ऐतिहासिक कारनामा किया है इससे पहले भी भूमि अधिग्रहण कानून वापस लेकर बैकफुट पर आ चुकी है।केंद्र सरकार ने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का फैसला किया है,जिसे लेकर लगभग एक साल से किसान आंदोलन चल रहा है.जिसमें सैकड़ों किसानों ने अपनी जान गवाई है साथ ही आंदोलन कर रहें अन्नदाता किसानों को मोदी सरकार के मंत्री संत्री सांसद विधायक प्रवक्ता भारतीय जनता पार्टी के लोगों द्वारा आंदोलन जीवी मवाली खालिस्तानी पाकिस्तानी आतंकवादी सहित जानें किन किन शब्दों से नवाजा गया है फिर किसान शान्ति पूर्ण तरीके से अपना आंदोलन जारी रखें रहें है जब उत्तर प्रदेश सहित अन्य राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव प्रभावित होता देख देश के सशक्त प्रधानमंत्री मोदी ने यू टर्न लेते हुए कृषि कानून वापस लेने की बात कही।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संबोधन के बाद से प्रदर्शन कर रहे किसान खुशी तो मना रहे हैं.लेकिन किसान नेता राकेश टिकैत ने तत्काल प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि किसानों का आंदोलन तत्काल वापस नहीं होगा हम उस दिन का इंतजार करेंगे जब कृषि कानूनों को संसद में रद्द किया जाएगा.अब देखना है कि प्रदर्शन कर रहे किसान क्या फैसला लेते हैं.कानून वापस लेने के फैसले के बाद प्रदर्शन कर रहे किसानों की जीत माना जा रहा है. केंद्र सरकार के बैकफुट पर आने के बाद अब लोगों का सवाल है कि क्या पहले भी कभी ऐसा हुआ है कि सरकार ने कोई कानून वापस लिया हो. ऐसे में जानते हैं क्या पहले ऐसा हुआ है और अगर ऐसा हुआ है तो यह कब कब हुआ है…
भूमि अधिग्रहण कानून में बैकफुट पर आई थी सरकार-
दरअसल, इससे पहले साल 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार को फजीहत झेलनी पड़ी थी. ये मौका था भूमि अधिग्रहण कानून का और उस वक्त अंत में विधेयक वापस लेना पड़ा था.यह विधेयक भी किसानों से जुड़ा हुआ था और उस वक्त भी किसानों में उबाल था और पूरे देश में विधेयक को लेकर विरोध किया गया था. उस दौरान भी पीएम मोदी ने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में यह कहना पड़ा कि वे भूमि अधिग्रहण विधेयक को वापस ले रहे हैं.बता दें कि केंद्र सरकार ने संशोधित भूमि अधिग्रहण विधेयक को लेकर चार बार अध्यादेश जारी किए थे, लेकिन वह संसद से बिल को मंजूरी नहीं दिला पाई. अंत में यह वापस भी लेना पड़ा.हुआ यूं था कि 2014 में सरकार में आते ही नरेंद्र मोदी सरकार भूमि अधिग्रहण और पुनर्वास में उचित मुआवजा और पारदर्शिता का अधिकार अधिनियम, 2013 में संशोधन को लेकर एक अध्यादेश लेकर आई थी।
No comments:
Post a Comment