कोतमा- आमीन वारसी/परिक्षेत्र के प्रभारी रेंजर त्रिपाठी जी का हम सभी ने एक बढ़कर एक कारनामा देखा है चाहें रिश्वत खोरी का मामला हो या अपने ही वन विभाग को लाखों रूपये का चुना लगाने का मामला हो या कोतमा वन परि क्षेत्र अंतर्गत अवैध उत्खनन परिवहन करते पकड़े गए टैक्टर पीकप वाहनों को ले देकर छोड़ने का मामला हो इन सभी मामलों में त्रिपाठी जी को महारथ हासिल है भले ही त्रिपाठी द्वारा किए गए भ्रष्ट कार्यों की शिकायत अनूपपुर डी एफ ओ, सी सी एफ शहडोल से की गई हो लेकिन आज दिनांक तक किसी भी उच्च अधिकारियों ने कोतमा वन परिक्षेत्र के प्रभारी रेंजर त्रिपाठी का कुछ नही बिगाड़ पाएं एक दो बार कोतमा वन परिक्षेत्र से तबादला हुआ लेकिन उच्च अधिकारी बौने साबित हुए और आज भी त्रिपाठी कोतमा रेंजर के पद आसीन है।जबकि उक्त मामले की शिकायत लोकायुक्त से की गई लोकायुक्त द्वारा जांच की गई तो काफी अनियमितता पाई गई उक्त मामला आज भी अधर में लटका है क्योकि चालान पेश करने के लिए लोकायुक्त को वन विभाग की अनुमति चाहिए जो अब तक वन विभाग द्वारा अनुमति नही दी जा रही जिससे लोकायुक्त जांच रिपोट कोर्ट में नही पेश कर पा रही है।आखिर वन विभाग रिश्वत खोर भ्रष्ट कर्मचारी रेंजर त्रिपाठी को क्यो बचाना चाह रही अब तक लोकायुक्त को क्यो अनुमति नही दी जा रही यह वन विभाग के जिम्मेदार अधिकारी जानें।
*ताजा मामला* इन दिनों कोतमा वन परिक्षेत्र की टीम कोतमा वन डी पो के शुक्ला ढाबा के पास एन एच 43 पर मार्ग पर आने जाने वाले आम राहगीरों से चालानी व वसूली कार्यवाही कर रही है जिसकी एक तस्वीर आप देख सकते हैं।जब इसकी जानकारी कोतमा थाना प्रभारी को दी गई तो थाना प्रभारी आर के बैस ने मौके पर जाकर तप्तीस की तो वन विभाग की टीम ने बताया कि उन्हे कुछ सूचना मिली है कि कुछ सामान आ रहा है इसलिए चैकिंग कर तलाशी ले रहे हैं।अब सवाल यह उठता है कि जब इस तरह की कोई सूचना वन विभाग को मिली तो उक्त जानकारी कोतमा थाना प्रभारी को देनी चाहिए थी जिससे वन विभाग को मदद मिलती लेकिन ऐसा नही किया क्योकि अगर उक्त सूचना सही भी होती और अगर आरोपी मिल जातें तो आरोपी को छोड़ने में आसानी होती इसलिए पुलिस विभाग को सूचित करना उचित नही समझा।यह त्रिपाठी जी का खेल हर कोई नही समझ सकता।
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