कोतमा/आमीन वारसी इन दिनों पूरा देश कोरोना वायरस की महामारी से भले ही जूझ रहा है।लेकिन कुछ समाज सेवी समाज सेवा के नाम पर अपनी जुआ फड़ की दुकान चला रहे हैं।जहाँ उक्त जुआ फड़ की देख रेख जिम्मेदार समाज सेवी के कंधों पर है बताया जा रहा है कि प्रधान मंत्री मोदी जी द्वारा लाक डाउन की घोषणा के बाद से ही अवैध कारोबारी समाज सेवियों ने पूरे गाँव में समाज सेवा करने का डंका बजवा दिया गया कि लाक डाउन समाप्ति तक गरीब भूखे जरूरत मंदों की मदद स्वयं के खर्चे की जाएगी।लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही सामने आ रही है।कहते है न हारा हुआ जुआरी कभी अपना दुःख छुपा नही सकता एक ऐसे ही दुखी जुआरी ने हमसे बताया कि आज मै लाखों रुपये जुआ में हार गया तो हमने पूछा इस लाक डाउन की स्थिति में लोगों का घर से बाहर निकलना बंद है फिर आप कहाँ जुआ हार आए जनाब तो हारे जुआरी ने बताया कि वार्ड नं 7 बूढ़ी दाई मंदिर के पास टेन्ट का खर्चा उठाने वाले समाज सेवी के बाड़े में लाखों रुपये हार आया साथ ही यह भी बताया कि जो समाज सेवा का कार्य किया जा रहा वह समाज सेवा स्वयं के खर्चे से नही बल्कि जुआ फड़ में जो नाल निकाली जाती है उसी पैसे से किया जा रहा।कितनी शर्म की बात है कि अपने आदर्श नेता जी का नाम आगें कर जुआ खिलवाकर उसके नाल के पैसों से समाज सेवा की जा रही है।और शोसल मीडिया में अपने समाज सेवा की तस्वीर वायरल करते रहते है कि आज हमनें गरीबों को इतना कच्चा राशन वितरण किया इतने गरीबों को भोजन कराया हम सभी को इस विपदा की घड़ी में हर जरूरत मंद गरीबों की अवश्य मदद करनी चाहिए लेकिन अवैध कारोबार करके नही।
शुक्ला जी ने देखा समाज सेवियों का असली चेहरा-
बूढ़ी दाई मंदिर के पास निवासरत लोगों ने बताया कि बुधवार की रात उक्त जुआ अड्डा पर अचानक शुक्ला जी पहोच गए और देखा कि समाज सेवा करने का चोला ओढ़े हुए लोग बावन परी नचा रहे है यह देखकर शुक्ला जी हैरान रह गए क्योकि उक्त जुआ अड्डे पर लगभग 12 से 15 लाख रुपए का जुआ चल रहा था जहां समाज सेवियों के अलावा बावन परी के बड़े बड़े योद्धा अपनी किस्मत आजमा रहें थे फिर क्या था शुक्ला जी कुछ कर पाते इससे पहले ही राजनैतिक दलाल अपनी दलाली के बदौलत मामले को रफा-दफा कर दिए लेकिन आसपास निवासरत लोगों ने शुक्ला जी एवं समाज सेवियों के बीच चल रहें लुका छिपी के खेल को खुली आखों से देखा साथ ही हमारे पत्रकार साथी ने उक्त मामले की खबर फेसबुक पर भी पोस्ट की थी तब यह जानना चाहा कि आखिर सत्यता क्या है तो यह मालूम हुआ कि समाज सेवा के आड़ में बावन परी का खेल खिलाया जा रहा और जुआ फड़ में जो नाल निकाली जा रही उस पैसे से समाज सेवा की जा रही है।
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