अनूपपुर- जब देश का राजा अपनी प्रजा से हाथ जोड़कर सहयोग मांगे तो यह समझ लेना चाहिए कि देश काफ़ी गंभीर प्रस्थितियो से गुजर रहा है और प्रजा को भी अपने राजा का समर्थन करना चाहिए इसी कड़ी में मंगलवार की बीती रात 8 बजे देश के प्रधानमंत्री टेलीविजन पर कोरोना वायरस से संक्रमित होने से बचने के लिए सभी देशवासियों से 14-15 अप्रैल तक अपने अपने घरों में रहने की अपील किए जिससे देश की जनता सुरक्षित रह सकें।और मंगलवार रात 12 बजे से पूरे देश में लाक डाउन कर दिए निश्चित ही प्रधान मंत्री जी की अपील स्वागत योग्य है वह अपने देश की आम जनता के जीवन की चिंता करते हुए यह निर्णय लिया है।लेकिन प्रधान मंत्री जी 21 दिन के लाक डाउन निर्णय लेने से पहले भारत देश के करोड़ों दिहाड़ी मजदूरों के भरण-पोषण की चिंता किए बिना ही उक्त निर्णय लिया जबकि देश के सभी दिहाड़ी मजदूर प्रधान मंत्री जी के भाषण को टकटकी लगाये देख और सुन रहें थे कि शायद उनका प्रधान सेवक उन गरीब मजदूरों के भरण-पोषण का भी इन्तजाम करेंगा।लेकिन प्रधानमंत्री जी द्वारा अभी तक ऐसी कोई भी घोषणा नही की गई प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान ने भी अपने प्रदेश वासियों से 21 दिन तक परेशान होने की बात कही मगर दिहाड़ी मजदूरों को अभी तक जिला प्रशासन द्वारा कोई भी राहत उपलब्ध नही कराई गई जिससे पूरे प्रदेश सहित अनूपपुर ज़िले के दिहाड़ी मजदूरों के माथे पर चिंता की लकीरें आसानी से देखी जा सकती है।देश के सभी दिहाड़ी मजदूर इस सोच में डूबे हुए हैं कि आखिर इन 21 दिनों तक हम अपने परिवार का भरण-पोषण कैसे करेंगे मध्यमवर्गीय परिवार फिर भी किसी तरह प्रधानमंत्री जी के भारत बंद का समर्थन करते हुए जीवन यापन कर लेंगे।लेकिन जो मजदूर प्रतिदिन मज़दूरी करके अपना व अपने परिवार का भरण-पोषण करता है उसका क्या होगा यह देश के प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री जी को समय रहते दिहाड़ी मजदूरों के भरण-पोषण का इन्तजाम करना चाहिए।नही ऐसा न हो कि दिहाड़ी मजदूरों की कोरोना वायरस से कम भुखमरी से ज्यादा मौतें हो जाए।
इनका कहना: दिहाड़ी मजदूरों के भरण-पोषण के सम्बंध में कोतमा एस डी एम अमन मिश्रा से मोबाइल नं 9630867890 पर चर्चा करना चाहें तो घंटी बजती रही लेकिन साहब फोन उठाना मुनासिब नही समझे।ऐसे में गरीब दिहाड़ी मजदूरों का भगवान ही मालिक है।
इनका कहना: दिहाड़ी मजदूरों के भरण-पोषण के सम्बंध में कोतमा एस डी एम अमन मिश्रा से मोबाइल नं 9630867890 पर चर्चा करना चाहें तो घंटी बजती रही लेकिन साहब फोन उठाना मुनासिब नही समझे।ऐसे में गरीब दिहाड़ी मजदूरों का भगवान ही मालिक है।
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