कोतमा/आमीन वारसी- जैसा कि हम सब जानते हैं जनता का आशीर्वाद पाकर सांसद विधायक व राज्य सभा सांसद फिर मंत्री की कुर्सी पर बैठकर जनप्रतिनिधि मालामाल हो जातें है।लेकिन देश की आम जनता हमेशा की तरह बेहाल रह जाती है।और जब कभी देश में किसी प्रकार की विपत्ति आती है तो इनमें से बहोत कम ही लोग जनता के हित के बारे में सोचते है।जबकि हमारे भारत देश में 545 साँसद,
245 राज्यसभा सांसद
4120 विधायक
है।कुल मिलाकर 4910 जनप्रतिनिधि।अगर यह सारे जनप्रतिनिधि मिलकर अपने व्यक्तिगत खातों मे से कम से कम 5-5 लाख रुपए भारत सरकार को दे।जो इतनी बड़ी रकम भी नही है इन जनप्रतिनिधियों के लिए।तो भारत देश को कोरोना महामारी से लड़ने के लिए 2,455,000,000 लाख ( 2 अरब 45 करोड़ 50 लाख ) रुपये इकट्ठे हो सकते हैं।और अगर पेंशन धारी सांसदों एवं विधायकों को जोड़ लिया जाए तो करोड़ों रुपए और इकठ्ठे हो सकतें है लेकिन हर बार देश की आम जनता से ही मदद की अपील की जाती है।देश की आम जनता अपने प्रधान सेवक की अपील का हमेशा समर्थन करेंगी।लेकिन
क्या इन राजनेताओं की कोई जिम्मेदारी और जवाबदेही नही है भारत देश की जनता के प्रति
आखिर क्यों यह माननीय सांसद और विधायक अपनी अपनी सांसद और विधायक निधि के पैसों को ही खर्च करके देश के सच्चे जनप्रतिनिधि होने का प्रमाण प्रस्तुत कर अपने कर्तव्य से पल्ला झाड़ लेते है।
जबकि वो पैसा जनता द्वारा ही सरकार को टैक्स के रूप मे देश को चलाने और विकास के लिए दिया जाता है।क्या अपने जनप्रतिनिधियों से हमारे देश के प्रधानमंत्री जी यह अपील नही कर सकते देशहित के लिए।
जिस तरह प्रधानमंत्री जी देश हित के लिए भारत देश की आम जनता से अपील कर जनता का सहयोग मांगते है ठीक उसी तरह भारत देश के जनप्रतिनिधियों से भी यह अपील करें की वो अपने व्यक्तिगत खातों से कम से कम 5-5 लाख रुपये देश की सेवा के लिए दान करे।जिससे देश की जनता को इस विपत्ति के समय में आर्थिक व स्वास्थ्य कार्यों के लिये पैसों का इंतजाम हो सके।
245 राज्यसभा सांसद
4120 विधायक
है।कुल मिलाकर 4910 जनप्रतिनिधि।अगर यह सारे जनप्रतिनिधि मिलकर अपने व्यक्तिगत खातों मे से कम से कम 5-5 लाख रुपए भारत सरकार को दे।जो इतनी बड़ी रकम भी नही है इन जनप्रतिनिधियों के लिए।तो भारत देश को कोरोना महामारी से लड़ने के लिए 2,455,000,000 लाख ( 2 अरब 45 करोड़ 50 लाख ) रुपये इकट्ठे हो सकते हैं।और अगर पेंशन धारी सांसदों एवं विधायकों को जोड़ लिया जाए तो करोड़ों रुपए और इकठ्ठे हो सकतें है लेकिन हर बार देश की आम जनता से ही मदद की अपील की जाती है।देश की आम जनता अपने प्रधान सेवक की अपील का हमेशा समर्थन करेंगी।लेकिन
क्या इन राजनेताओं की कोई जिम्मेदारी और जवाबदेही नही है भारत देश की जनता के प्रति
आखिर क्यों यह माननीय सांसद और विधायक अपनी अपनी सांसद और विधायक निधि के पैसों को ही खर्च करके देश के सच्चे जनप्रतिनिधि होने का प्रमाण प्रस्तुत कर अपने कर्तव्य से पल्ला झाड़ लेते है।
जबकि वो पैसा जनता द्वारा ही सरकार को टैक्स के रूप मे देश को चलाने और विकास के लिए दिया जाता है।क्या अपने जनप्रतिनिधियों से हमारे देश के प्रधानमंत्री जी यह अपील नही कर सकते देशहित के लिए।
जिस तरह प्रधानमंत्री जी देश हित के लिए भारत देश की आम जनता से अपील कर जनता का सहयोग मांगते है ठीक उसी तरह भारत देश के जनप्रतिनिधियों से भी यह अपील करें की वो अपने व्यक्तिगत खातों से कम से कम 5-5 लाख रुपये देश की सेवा के लिए दान करे।जिससे देश की जनता को इस विपत्ति के समय में आर्थिक व स्वास्थ्य कार्यों के लिये पैसों का इंतजाम हो सके।
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