कोतमा/अमीन वारसी- सड़क सुरक्षा अभियान के तहत यातायात पुलिस जनभागीदारी से जागरूक नागरिकों की सेवाएं लेने की तैयारी कर रही है। इसी कड़ी में सामाजिक सरोकार में भूमिका निभाने करने वाले युवाओं को पुलिस ट्रैफिक वार्डन के पद पर नियुक्त करने जा रही है। ये ट्रैफिक वार्डन स्वेच्छा से त्योहारों के समय, आपातकाल में या शाम के समय यातायात व्यवस्था बनाने में पुलिस का सहयोग करेंगे। इसके साथ ही रैली, जुलूस और धरना प्रदर्शन में भी इनका सहयोग लिया जाएगा। शहर सहित आसपास के बड़े कस्बों में पुलिस यह प्रयोग करने जा रही है। पुलिस शहर के समाजसेवी और जागरूक युवक-युवतियों को साथ लेकर ट्रैफिक वार्डन बनाने की तैयारी में है। ऐसे युवक-युवतियां जो हफ्ते में कम से कम दो दिन दो-दो घंटे का समय पुलिस को दे सकें। पुलिस की ओर से इन ट्रैफिक वार्डनों को कोई मानदेय नहीं दिया जाएगा, लेकिन पुलिस इन्हें प्रमाण-पत्र जरूर देगी। पुलिस इन्हे कैप, विसिल और जैकेट भी उपलब्ध कराएगी। ताकि जिम्मेदारी निभाते समय ये भी पुलिस की तरह अलग ही नजर आएं।
सराहनीय पहल-
ट्रैफिक रेगुलेशन के साथ बाजार व्यवस्था, रैली, प्रदर्शन और जुलूस में इन ट्रैफिक वार्डन का सहयोग लिया जाएगा
ऐसे काम करेंगे ट्रैफिक वार्डन
पुलिस अधिकारी ऐसे युवक-युवतियों को तलाश रहे हैं जिनके मन में समाजसेवा का जज्बा हो। इसके साथ ही ऐसे लोग जो सामाजिक रूप से विशेष पहचान रखते हैं उन्हें भी ट्रैफिक वार्डन बनाएगी। ये लोग स्कूल-कॉलेज या जरूरी काम छोड़कर यातायात व्यवस्था सुधारने के लिए कुछ समय दे सकें। पुलिस अधिकारी भी इन्हें मोटिवेट करेंगे। इन्हें सप्ताह में कम से कम दो दिन 2-2 घंटे सामुदायिक पुलिसिंग करना होगी।
नहीं होना चाहिए राजनीतिक बेकग्राउंड
पुलिस जिन युवक-युवतियों को ट्रैफिक वार्डन बनाएगी उनका कोई आपराधिक रिकार्ड नहीं होना चाहिए। इसके साथ ही ट्रैफिक वार्डन का चरित्र अच्छा होना चाहिए। यही नहीं इन ट्रैफिक वार्डन का कोई राजनीतिक बेकग्राउंड नहीं होना चाहिए।
यह होगा फायदा-
त्योहार के समय या विशेष मौकों पर जब बाजार में बहुत अधिक भीड़ होती है या पुलिसकर्मी किसी वीआईपी ड्यूटी में व्यस्त रहते हैं तो ये ट्रैफिक वार्डन इन पुलिसकर्मियों की कमी को दूर करते हुए व्यवस्थाएं संभाल सकते हैं। इससे व्यवस्था तो बनेगी ही साथ ही लोगों की परेशानी भी कम होगी।
ट्रेनिंग भी दी जाएगी*
ट्रैफिक वार्डन को स्टाफ के माध्यम से ट्रेनिंग भी दी जाएगी। जिसमें इन्हें ट्रैफिक के बेसिक रूल बताए जाएंगे और ट्रैफिक रेगुलेशन भी सिखाया जाएगा। हम ट्रैफिक वार्डन का उपयोग सिर्फ ट्रैफिक रेगुलेट करने में नहीं, बल्कि विशेष मौकों पर बाजार, रैली, जुलूस में भी करेंगे।
इसलिए पड़ी जरूरत-
पुलिस के पास बल बहुत कम है, इसलिए पुलिस ट्रैफिक वार्डनों का सहयोग लेकर सामुदायिक पुलिसिंग करेंगे। इसके साथ ही पुलिस का मानना है कि जब हम ट्रैफिक व्यवस्था में लोगों को जोड़ेंगे, तो इस सामुदायिक पुलिसिंग से आमजनों की आदतों में बदलाव होगा। फिर आमजन यातायात नियमों का पालन करना अपनी आदत बना लेंगे। जिससे यातायात व्यवस्था काफी हद तक सुधरेगी।
सराहनीय पहल-
ट्रैफिक रेगुलेशन के साथ बाजार व्यवस्था, रैली, प्रदर्शन और जुलूस में इन ट्रैफिक वार्डन का सहयोग लिया जाएगा
ऐसे काम करेंगे ट्रैफिक वार्डन
पुलिस अधिकारी ऐसे युवक-युवतियों को तलाश रहे हैं जिनके मन में समाजसेवा का जज्बा हो। इसके साथ ही ऐसे लोग जो सामाजिक रूप से विशेष पहचान रखते हैं उन्हें भी ट्रैफिक वार्डन बनाएगी। ये लोग स्कूल-कॉलेज या जरूरी काम छोड़कर यातायात व्यवस्था सुधारने के लिए कुछ समय दे सकें। पुलिस अधिकारी भी इन्हें मोटिवेट करेंगे। इन्हें सप्ताह में कम से कम दो दिन 2-2 घंटे सामुदायिक पुलिसिंग करना होगी।
नहीं होना चाहिए राजनीतिक बेकग्राउंड
पुलिस जिन युवक-युवतियों को ट्रैफिक वार्डन बनाएगी उनका कोई आपराधिक रिकार्ड नहीं होना चाहिए। इसके साथ ही ट्रैफिक वार्डन का चरित्र अच्छा होना चाहिए। यही नहीं इन ट्रैफिक वार्डन का कोई राजनीतिक बेकग्राउंड नहीं होना चाहिए।
यह होगा फायदा-
त्योहार के समय या विशेष मौकों पर जब बाजार में बहुत अधिक भीड़ होती है या पुलिसकर्मी किसी वीआईपी ड्यूटी में व्यस्त रहते हैं तो ये ट्रैफिक वार्डन इन पुलिसकर्मियों की कमी को दूर करते हुए व्यवस्थाएं संभाल सकते हैं। इससे व्यवस्था तो बनेगी ही साथ ही लोगों की परेशानी भी कम होगी।
ट्रेनिंग भी दी जाएगी*
ट्रैफिक वार्डन को स्टाफ के माध्यम से ट्रेनिंग भी दी जाएगी। जिसमें इन्हें ट्रैफिक के बेसिक रूल बताए जाएंगे और ट्रैफिक रेगुलेशन भी सिखाया जाएगा। हम ट्रैफिक वार्डन का उपयोग सिर्फ ट्रैफिक रेगुलेट करने में नहीं, बल्कि विशेष मौकों पर बाजार, रैली, जुलूस में भी करेंगे।
इसलिए पड़ी जरूरत-
पुलिस के पास बल बहुत कम है, इसलिए पुलिस ट्रैफिक वार्डनों का सहयोग लेकर सामुदायिक पुलिसिंग करेंगे। इसके साथ ही पुलिस का मानना है कि जब हम ट्रैफिक व्यवस्था में लोगों को जोड़ेंगे, तो इस सामुदायिक पुलिसिंग से आमजनों की आदतों में बदलाव होगा। फिर आमजन यातायात नियमों का पालन करना अपनी आदत बना लेंगे। जिससे यातायात व्यवस्था काफी हद तक सुधरेगी।
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