कोतमा/आमीन वारसी- मध्यप्रदेश में चाहे किसी भी पार्टी की सरकार रही हो शासन प्रशासन द्वारा हमेशा छला सिर्फ आदिवासियों ही गया है 15 वर्ष तक प्रदेश में भाजपा की शिवराज सरकार रही हो या फिर वर्तमान में कांग्रेस की कमलनाथ सरकार हो सभी ने आदिवासियों को सिर्फ चुनाव के दौरान याद किया उसके बाद आदिवासियों के सुख दुख से नेताओं का कोई लेना-देना नही इसका जीता जागता उदाहरण है अनूपपुर जिला जो आदिवासी बहुलय जिला भी कहलाता है और मजे की बात यह है कि शहडोल संसदीय क्षेत्र से थोक के भाव में आदिवासी नेता है जैसे सांसद हिमाद्री सिंह पूर्व सांसद ज्ञान सिंह रामलाल रौतेल सुदामा सिंह जय सिंह मरावी नरेन्द्र मरावी श्याम सिंह रामदास पुरी वगैरह वगैरह वही कांग्रेस पार्टी से भी बिसाहूलाल सिंह फुदेलाल सिंह वगैरह वगैरह राजनीति में सक्रिय है फिर भी आदिवासियों के हालात बद से बदतर होते जा रहे कारण यह है कि आदिवासियों को अपना हितैषी बताने वाले आदिवासी नेताओं द्वारा बहला फुसलाकर बरगलाकर वोट लेकर कुर्सी पाने के बाद दूध से मक्खी की तरह निकाल कर फेंक दिया जाता है और हमेशा की तरह शासन प्रशासन के सहयोग से आदिवासियों की जमीन पर दबंग भू माफिया या फिर प्राईवेट व सरकारी कंपनियों द्वारा जबरन कब्जा कर लिया जाता है और आदिवासियों के मसीहा कहें जानें वाले आदिवासी नेता पूरे 5 वर्ष तक क्षेत्र की आम जनता सहित आदिवासियों को दर किनार करते हुए स्वागत वंदन अभिनंदन और अपना ही विकास करने में लगें रहते है।
जिम्मेदार ही आदिवासियों के साथ कर रहे छलावा-
अनूपपुर जिले के कोतमा नगर पालिका अंतर्गत वार्ड नं 10 में जमुना कोतमा क्षेत्र अंतर्गत गोविंदा उप क्षेत्र की भूमिगत कोयला खदान मीरा इकलाइन का संचालन काफी लम्बे समय से किया जा रहा है और एस ई सी एल प्रबंधन द्वारा हैबी ब्लास्टिग कर कोयला उत्खनन करने से आदिवासियों के मकान एवं भूमि की छति हो रही है जिससे आदिवासियों को भारी नुकसान हो रहा है जबकि उक्त सम्बन्ध में वार्ड नं 10 कुदरी टोला निवासियों द्वारा कई बार स्थानीय प्रशासन कोतमा एस डी एम तहसीलदार को शिकायत दर्ज कराई गई परन्तु अधिकारियों ने कोई जनहित का कार्य नही किया बल्कि एस ई सी एल प्रबंधन से साठ गाँठ कर उक्त कंपनी के पक्ष में निर्णय कर दिया जाता है कार्यवाही न होने पर गरीब आदिवासी किसान गणेश प्रसाद कोल पिता मंगल कोल के द्वारा भारत सरकार के शिकायत पोर्टल पर ऑनलाइन शिकायत दर्ज किया गया था जिस पर भी कोई कार्यवाही नहीं हो रही थी तो 9 अगस्त विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर कलेक्टर अनुपपुर द्वारा आदिवासियों के साथ जो कार्यक्रम किया जा रहा था उस कार्यक्रम की फोटो व विडियो जनसंपर्क अनुपपुर के ट्विटर पर अपलोड किये जा रहे थे जिसे देखकर शिकायतकर्ता द्वारा बार बार मैसेज किया जा रहा था जिस पर जनसंपर्क द्वारा उत्तर दिया गया की आपकी समस्या अग्रेषित कर दी गई है दिनांक 10-8-19 को डिप्टी कलेक्टर अनुपपुर द्वारा प्रधान मंत्री कार्यालय में दर्ज शिकायत PMOPG/E/2019/0364201 दिनांक 2-7- 2019 का निराकरण दर्ज करते हुए शिकायत एस ई सी एल द्वारा प्राप्त प्रतिवेदन शिकायतकर्ता गणेश प्रसाद कोल ग्राम कुदरी टोला को प्रेषित है और शिकायत को बंद कर दिया गया है। अब सवाल यह है कि क्या डिप्टी कलेक्टर अनुपपुर बताएँगे की जो एसईसीएल द्वारा प्रतिवेदन शिकायतकर्ता के नाम से केन्द्र सरकार की साईट पर उपलोड किया है क्या उक्त प्रतिवेदन शिकायतकर्ता को प्राप्त हुआ है गणेश कोल ने बताया कि एस ई सी एल द्वारा प्रतिवेदन जारी दिनांक से आज दिनांक तक मुझे प्राप्त नही हुआ अगर किसी माध्यम से प्रेषित किया गया है तो पोस्ट ऑफिस की पावती दिखाई जाए या फिर हाथों हाथ दिया गया है तो उसकी भी पावती दिखाई जाए लेकिन कलेक्टर महोदय द्वारा किसी भी प्रकार की पावती नही दी जा सकती क्योकि जब शिकायत कर्ता को प्रतिवेदन मिला ही नही तो पावती दिखाएँगे कहा से सिर्फ एक झूठी भूमिका के तहत एस ई सी एल कंपनी से साठ गाँठ कर जिला प्रशासन के जिम्मेदार डिप्टी कलेक्टर द्वारा उक्त शिकायत का गलत निराकरण दर्ज किया गया है। और ग्रामीणों के हितो की उपेक्षा करते हुए कंपनी के हित में जो निर्णय लिया है वह समस्त ग्रामीणों के लिए कलेक्टर महोदय की ओर से आदिवासियों को आदिवासी दिवस पर विशेष एवं यादगार उपहार है।
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