Wednesday, July 31, 2019

सरपरस्त बांट रहे हिंदुओं से दूरी रखने का फरमान



कोतमा -सामाजिक सद्भाव और हिन्दू मुश्लिम एकता और भाई चारे की मिशाल नगर कोतमा जहां चाहे ईद हो बकरीद हो या रोजा रमजान या मुहर्र्म का  त्योहार या गणेश पूजा नवरात्रि होली दिवाली सभी त्योहारों को दोनों धर्म के लोग आपसी सद्भाव के साथ मनाते है,,हिन्दू मुश्लिम जहां ईद की मुबारकबाद से शुरू त्योहार को सेवई की मिठास से आपसी रिस्तो में गंगा जमुनी तहजीब की मिसाल देते हैं,,वही हिंदुओं के होली दीवाली के त्योहार को मुश्लिम भाई मुह मीठा कर मनाते हैं,,साथ ही दोनों धर्मों में एक दूसरे के सुख दुख शादी व्याह में शामिल होना एक सामाजिक सद्भाव का प्रतीक है जो सदियों से यह परंपरा चली आ रही।लेकिन बदलते समय के साथ इन आपसी सद्भाव और सामाजिक रिश्तों में कुछ समाज के ठेकेदारों के द्वारा नफरत का जहर घोला जा रहा जो आने वाले समय के लिए अच्छा संदेस नही होगा।

मोदी का मिशन सबका साथ सबका विश्वास-

सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास मोदी सरकार और इस संकल्प के आसरे प्रधानमंत्री लगातार सभी लोगों को साथ लेकर चलने की बात लगातार हर मंच से करते रहते हैं। लेकिन हमारे नगर के कुछ समाज के ठेकेदारों ने इंसानों को हिन्दू-मुसलमान में बांटते-बांटते अब आपसी भाईचारे को भी धर्म के धरातल पर उतारते हुए लोकतंत्र के तमाम कायदों-कानून का लोप करने की तैयारी चल रही है।हिंदुओं के यहां मत जाओ,,उनके त्योहारो में शरीक मत हो,,शादी विवाह के व सामाजिक कार्यक्रम से बायकाट करो।इस तरह के तुगलकी फरमान के चर्चे की सुगबुगाहट सुनने को मिली थी।जिस पर पीड़ित के द्वारा उक्ताशय की शिकायत भी कोतमा थाने में की गई।

क्या है मामला-

 मामला अनूपपुर जिले के कोतमा नगर पालिका अंतर्गत लहसुई गाँव का है जो मुस्लिम बहुलय  क्षेत्र कहलाता है यहाँ पर मुस्लिमों के मुखिया कहलाए जानें वाले सरपरस्त नूरूसलाम एवं कुछ समाज के ठेकेदारों द्वारा सीधे साधे व्यापारी इस्तयाज अहमद बबलू एवं उसके परिवार   को समाज से बहिष्कृत कर दिया गया।लहसुई कैम्प कोतमा वार्ड नं 13 निवासी इस्तियाज अहमद वारसी पिता स्व,अब्दुल गनी ने कोतमा थाने में शिकायत दर्ज कराते हुए लिखे हैं कि मैं एक  मुश्लिम धर्म का अनुयायी हूँ।और सभी धर्मों के कार्यक्रमो में शरीक होता हूँ।जिससे मान सम्मान हैसियत व्यापारिक रिश्तों के कारण सबसे अच्छे संबंध और मान सम्मान है।आपसी भाई चारे के कारण हिंदुओं के तीज त्योहार,व सुख दुख में शरीक होता हूँ।जिसके कारण लहसुई गांव के सरपरस्त व उनके सहयोगी जन हिंदुओं के तीज त्योहार में शामिल होने पर प्रतिबंध लगाने की बात कही। न मानने पर समाज से बहिष्कृत करने की धमकी दी जाती है।

 बहिष्कार का कारण कंटरता- 

बहिष्कृत पीड़ित इस्तयाज अहमद ने कोतमा थाने में लिखित शिकायत करते हुए बताया कि हमारा परिवार लहसुई गाँव का पुस्तैनी निवासी है कुछ वर्षों से मै लहसुई कैम्प रोड वार्ड नं 13 मे निवास कर रहा हूँ कपड़े का छोटा सा व्यापारी हूँ कोतमा बाज़ार में हनुमान मंदिर के पास मेरी कपड़े की दुकान थी एवं फेरी भी करता हूँ कोतमा नगर हमेशा से भाई चारे का क्षेत्र रहा है यहाँ सभी धर्म जाति समाज के लोग एक दूसरे के त्यौहार ईद बकरीद होली दीपावली दशहरा में एक दूसरे को बधाईयाँ देते है गले मिलते है मै भी उसी भाई चारे के साथ सभी त्यौहारों में सभी धर्म के लोगों व अपने मित्रों को मिलकर या सोशल मीडिया के माध्यम से बधाईयाँ देता हूँ जिस पर मुस्लिम समाज के मुखिया नूरूसलाम एवं अन्य सहयोगियों द्वारा कंटरता पूर्ण रवैया अपनाते हुए मुझे कई बार समाज से बहिष्कृत करने की धमकी दी गई। इस्तयाज अहमद ने बताया कि 3 वर्ष पूर्व मै अपनी पुत्री की शादी नगर के राधिका होटल से किया गया था और अन्य धर्मों के अपने मित्रों को भी शादी में निमंत्रण दिया था मेरे सभी साथी व्यापारी शादी में आए थे  जिस पर भी कंटरता दिखाते हुए मुझसे ईर्ष्या रखते है।


यदि शिकायत सही है तो खत्म हो जाएगी गंगा जमुनी तहजीब-

 सरपरस्त समाज के बीच सांप्रदायिकता का जहर उगल रहे हैं। कोतमा के लहसुई गांव के समाज के वरिष्ठ जिनके हुक्म को आज भी समाज के लोग सम्मान करते हैं।लेकिन यदि इस्तियाज की शिकायत सही माने तो वरिष्ठजन ने नफरत का जो बीज बोया उनके लब्बोलुआब पर गौर करें तो वो मुस्लिम समुदाय से हिन्दुओ का सामाजिक बहिष्कार की अपील कर रहे हैं। राजनेताओं ने लोगों को हिन्दू-मुसलमान में बांटते-बांटते आपसी सद्भाव को भी नहीं बख्शा। देखते ही देखते व्यापार और कारोबार भी अब हिन्दू-मुसलमान हो जाएगा।
बचपन में किताबों में अक्सर यह पढ़ने को मिलता था कि भारत विविधताओं का देश है और यहां सभी धर्म और समुदाय के लोग आपस में मिलजुल कर रहते हैं। लेकिन कई नेता बोलते-बोलते इतने बहक जाते हैं कि सांप्रदायिकता और नफरत के नए विशेषण की खोज में समाज और इंसानों को बांटने पर उतर जाते हैं। लेकिन अन्याय के प्रति आवाज दबाने की जो उनकी भाषा और तरीका है उसे सांप्रदायिकता का जहर कहते हैं।

6 comments:

  1. खबर चाहे जैसी हो, प्रशासन को तुरंत कार्यवाही कर दोषी व्यक्तियों को दंडित किया जाना चाहिए।
    जिससे शहर में निवास करने वाले हिन्दू और मुसलमान एक साथ सुख- दुःख बांट सकें।

    ReplyDelete
  2. Isme hindu muslim ka koi lena dena nahi hai.....thodi saram karo..

    ReplyDelete
  3. jhut hai ye sab kotma me sabhi musalmano ka ek dusre se acha sambandh hai isme dusri kuch aur baat hai jo ki samaj se bahiskar kiya gya hai

    ReplyDelete
  4. Is mamle me koi bhi hindu Muslim wala mater nhi hai ye galat khabar hai hamare surparst ka nam kharab karne ki sajis hai

    ReplyDelete