Thursday, August 1, 2019

सरपरस्त का इस्तयाज के खिलाफ तालिबानी फरमान


कोतमा- हमारा भारत देश उच्च न्यायालय संविधान एवं भारत सरकार के निर्देशों पर चल रहा जिसका हम सभी भारत वासी सम्मान भी करते हैं साथ ही निर्देशों का पालन भी करते है लेकिन कुछ तथाकथित लोगों द्वारा भारत देश के संविधान व कानून को दर किनार करते हुए तालिबान जैसा फरमान जारी किया जा रहा है जिसका जीता जागता उदाहरण अनूपपुर जिले के कोतमा नगर पालिका अंतर्गत वार्ड नं 13 लहसुई कैम्प रोड निवासी मुस्लिम सामुदाय के इस्तयाज अहमद है जिन्होने बताया कि मै मुस्लिम धर्म को मानने हूँ मै और मेरा परिवार  लहसुई गाँव के पुस्तैनी निवासी है    मुस्लिम सामुदाय का मुखिया सरपरस्त कहलाए जानें वाले एवं समाज के ठेकेदार द्वारा बिना किसी कारण के मुझे और मेरे परिवार का सामाजिक बहिष्कार कर अपमानित किया जा रहा है  इस्तयाज अहमद ने सामाजिक बहिष्कार एवं अपमानित किए जाने कि कोतमा थाने में लिखित शिकायत करते हुए बताया कि मुस्लिम समाज के कथित लोगों द्वारा जबरन एक कथित कमेटी का गठन किया गया साथ ही दिनांक 19-7-19 को एक बैठक की गई जिसमें मुझे मोबाइल फोन के माध्यम से मो लियाकत पिता मो तैयब एवं अब्दुल रशीद छेददी पिता अब्दुल समद निवासी लहसुई गाँव के द्वारा सूचना दी गई कि नूरूसलाम की सरपरस्ती में एक बैठक रखी गई है तुम आजा ओ मेरे द्वारा कहा गया कि किस बात की बैठक है बताइए और लिखित में सूचना दीजिए तो कथित कमेटी के कथित लोगों द्वारा कहा गया कि जादा कानून बता रहा है सीधे से बैठक में आजा ओ नही तो डंडा मारते घसीटते हुए बैठक में ले आएंगे मैने उनकी बातों पर ध्यान नही दिया हमेशा की तरह अपने काम में लगा रहा दिनांक 26-7-19 को पुनः प्रार्थी को मो 0 लियाकत पिता मो 0 तैयब निवासी लहसुई गाँव द्वारा बताया गया कि तुम्हे आज फिर बैठक में बुलाया गया है बैठक में न आने पर एक तरफा फैसला किया जाएंगा पुनः मेरे द्वारा कहा गया कि मुझे लिखित में सूचना दोगे तो ही मै आऊंगा और फिर अपने का में व्यस्त रहा दिनांक 27-7-19 को मै केलहारी बाज़ार करने चला गया दोपहर में मुझे मो 0 आरिफ द्वारा सूचना दी गई कि तुम्हारे बैठक में न आने से उक्त कमेटी के सदस्यों के सामने मो इसहाक पिता नूरूसलाम के द्वारा यह कहा गया कि बार-बार लिखित सूचना और बैठक में न आने की बात  करता है सूचना देना जरूरी नही है उसे समाज से बहिष्कृत करो  उससे समाज वाले कोई रिश्ता व वास्ता न रखें और न ही उसे धार्मिक व समाजिक कार्यक्रम में  बुलाया जाए और समाज से बहिष्कृत करने का मस्जिद के लाउड स्पीकर से ऐलान कराया जाए। मो आरिफ ने यह भी  बताया कि उक्त कार्यवाही का एक रजिस्टर बनाया गया है जिसमें लिखा पढ़ी की गई है एवं उक्त कमेटी के अधिकांश सदस्यों द्वारा हस्ताक्षर भी किया गया है। इस प्रकार से प्रार्थी को कमेटी के सरपरस्त एवं सदस्यों द्वारा बहिष्कृत किए जाने के फैसले से लहसुई गाँव के लोगों द्वारा प्रार्थी के आने जाने पर नीची नजरों से देखा जा रहा जिससे प्रार्थी की मान प्रतिष्ठा को आघात पहोचा है प्रार्थी को यह भी आशंका है कि उक्त कमेटी के सरपरस्त एवं सदस्यों द्वारा कभी भी मेरे व मेरे परिवार के साथ कोई अप्रिय घटना घटित कर सकतें है।

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