Tuesday, July 16, 2019

कोर्ट के आदेश का हुआ पालन लाल बहादुर के मकान पर चला बुलडोज़र




कोतमा/आमीन वारसी- जबलपुर हाई कोर्ट के आदेश पर 16 जुलाई को एस ई सी एल प्रबंधन द्वारा पुलिस प्रशासन के सहयोग से एस ई सी एल की अधिग्रहित भूमि पर वर्षो से लाल बहादुर जायसवाल परिवार  अवैध रूप से अतिक्रमण कर मकान बनाकर रह रहे थे जिसका मामला काफी दिनों से हाई कोर्ट में चल रहा था जिसे अंतिम रूप देते हुए माननीय न्यायालय द्वारा आदेश पारित किया गया था कि अवैध रूप से बने मकान को गिरा दिया जाए और एस ई सी एल उक्त भूमि को अपने कब्जे में लेकर व्यवस्थित करें आदेश पर अमल करते हुए शान्ति पूर्ण तरीके से अवैध अतिक्रमण से मुक्त करा दिया गया कोर्ट के आदेश का सम्मान करते हुए  लाल बहादुर जायसवाल परिवार द्वारा अतिक्रमण मुक्त किए जानें के दौरान किसी भी प्रकार का विरोध नही किया गया सिर्फ बुजुर्ग माता पिता अपने उजड़ते आशियाने को देखकर आँसू बहाते रहें बताया जाता है कि लाल बहादुर के पिता एस ई सी एल से रिटायर होने के बाद अपने गाँव वापस न जाकर यही जमुना कालरी में ही रहना चाहते थे इसलिए अपने जीवन भर की पूंजी से उक्त मकान को बनाया था जिस पर राजनैतिक विरोधी की बुरी नजर पड़ गई और उक्त मकान को अवैध करार दे दिया नतीजा मकान टूट गया।

जमकर कोसते रहें लोग-

 माननीय न्यायालय से अतिक्रमण मुक्त कराने का आदेश पारित कराकर लाल बहादुर जायसवाल का मकान तोड़वाकर  श्रीकांत शुक्ला भले ही जश्न मना रहे हो लेकिन सच यह है कि आम लोगों में यह कृत्य देखकर काफी आक्रोश है एस ई सी एल द्वारा जब मकान तोड़ा जा रहा था तो मौके पर मौजूद स्थानीय लोगों द्वारा जमकर कोसा जा रहा था सब यही कहते नजर आए कि इस तरह से दुश्मनी कोई नही करता जैसा श्रीकांत शुक्ला ने किया है अगर दुश्मनी निकालनी थी तो व्यक्तिगत निकालना था परिवार व घर को नुकसान पहोचाना अच्छी बात नही है दोनों की आपसी दुश्मनी में माता पिता का क्या दोष है।


एस ई सी एल प्रबंधन ने बनाया जबर्दस्त माहौल-

उक्त मकान का अतिक्रमण करने के लिए एस ई सी एल प्रबंधन सहित प्रशासन द्वारा जबरजस्ती का माहौल बनाया गया मानों  जैसे लाल बहादुर कोई गुंडा और हिस्ट्री सीटर हो जो कोर्ट के आदेश की अवहेलना करेंगा एवं मौके पर मौजूद लोगों को किसी प्रकार का नुकसान पहोचाएगा वह भी एक आम इन्सान है लेकिन एस ई सी एल प्रबंधन द्वारा बेवजह जिले सहित संभाग से लगभग 200  पुलिस कर्मियों को तैनात कराकर जमुना कालरी को छावनी में तब्दील कर दिया गया जबकि ऐसा कुछ भी नही हुआ सिर्फ एस ई सी एल प्रबंधन  द्वारा दो दिन पहले से जबरदस्ती   माहौल बनाया जा रहा था।

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