कोतमा/आमीन वारसी- तहसील अंतर्गत हल्का कल्याणपुर निवासी पार्वती यादव को अब तक नहीं मिला न्याय 6 जनवरी 2018 को पार्वती यादव ने कोतमा थाने सहित तहसील कार्यालय में लिखित शिकायत करते हुए बताया था कि अजीमुददीन भोचू द्वारा हम गरीब किसानों की पुस्तैनी भूमि खसरा नं 297/5 रकवा डेढ़ एकड़ जो मध्यप्रदेश शासन द्वारा पार्वती के पूर्वजों को कृषि कार्य करने के लिए आवंटित की गई थी उक्त भूमि पर यादव परिवार खेती किसानी कर अपना जीवन यापन कर रहे है साथ ही वर्षो से पार्वती एवं उसके परिवार का कब्जा है यादव परिवार द्वारा उक्त भूमि की देख रेख की जिम्मेदारी लल्लू कहार को दी गई है लेकिन भू माफिया भोचू की नजर उक्त भूमि पर वर्षो से पड़ी थी जो 2016 एवं 17 में कोतमा तहसील के अधिकारी व कल्याणपुर हल्का पटवारी आर आई से साठ गाँठ कर उक्त शासकीय भूमि खसरा नं 297/5 से 30 दिसम्बर 2017 की दरमियानी रात उक्त भूमि से यादव परिवार का कब्जा हटाकर 31दिसम्बर 2017 की सुबह से दीवाल बना कर कब्जा किया जा रहा था काफी हो हल्ला होने पर अजीमुददीन भोचू उक्त विवादित स्थान भाग गया फिर एक दो दिन बाद उक्त भूमि का आर आई राम सिंह धुर्वे की साठ गाँठ से फर्जी नक्शा तरमीम एवं श्रीमाकंन करा किया गया तथा अजीमुददीन भोचू द्वारा उक्त भूमि को अपना बताने का भरपूर प्रयास किया गया कुल मिलाकर उक्त भूमि खसरा नं 297/5 को अजीमुददीन भोचू हड़पने के फिराक में है जिस पर पार्वती द्वारा कोतमा थाने व तहसील 6 जनवरी 2018 में शिकायत के साथ ही न्यायालय में उक्त मामला अब भी विचाराधीन है शिकायत में पार्वती द्वारा यह बताया गया है कि अजीमुददीन भोचू द्वारा मेरी भूमि लूटने का प्रयास किया जा रहा है लेकिन धन्य है कोतमा तहसील और उसके अधिकारी मामले को पूरे एक वर्ष हो चुके लेकिन पीड़ित को सिर्फ तारीख पर तारीख ही मिलती जा रही मामले का निराकरण अब तक नही हो सका बताया जाता है कि उक्त मामले को जान बूचकर लटकाया जा रहा है क्योकि इस मामले में अजीमुददीन भोचू पूरी तरह फसे हुए है वो इसलिए कि उक्त भूमि खसरा नं 297/5 पार्वती यादव वगैरह की है और उस पर यादव परिवार का कब्जा है जिसकी देख रेख की जिम्मेदारी एवं खेती किसानी लल्लू कहार के पिता लगभग 50 वर्ष से करते चले आ रहे है उक्त भूमि से चोरी छुपे रातों रात कब्जा हटा दिया गया फिर अजीमुददीन भोचू अपना कब्जा करने का प्रयास कर रहा था जिस पर यादव परिवार द्वारा थाने में शिकायत के साथ ही तहसील से काम बंद कराने का स्टे आडर लिया गया था लेकिन उक्त मामले में तहसीलदार द्वारा अब तक कोई निराकरण नही किया गया जबकि पूरे एक वर्ष से तहसील में मामला विचाराधीन है।
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