कोतमा/आमीन वारसी - शहडोल संभाग की एकलौती समान्य सीट कोतमा विधान सभा क्षेत्र में ऐसा चुनावी घमासान मचा हुआ है कि परिणाम के बारे में कुछ कह पाना जल्दबाजी होगी क्योकि कोतमा विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय और राष्ट्रीय पार्टी के प्रत्याशी मिलाकर लगभग एक दर्जन से अधिक नामांकन पत्र दाखिल किया गया है भाजपा से दिलीप जायसवाल कांग्रेस से सुनील सराफ सपाकस पार्टी से किशोरी लाल चतुर्वेदी गोंडवाना पार्टी से राम खेलावन तिवारी आम आदमी पार्टी से अजय शर्मा बहुजन समाज पार्टी एवं अन्य निर्दलीय नामांकन पत्र दाखिल कर चुके है जिससे अब यह कह पाना मुश्किल है कि किसकी होगी जीत।टिकट वितरण के पूर्व जो कयास लगाए जा रहे थे उससे विपरीत स्थितियां दिखाई पड़ रही है पहले यह था कि भारतीय जनता पार्टी से राजेश सोनी और कांग्रेस पार्टी से मनोज अग्रवाल को प्रत्याशी बनाया जाएगा लेकिन दोनों पार्टी का अनोखे निर्णय से आम जनता और समर्थक को गहरा सदमा लगा है भारतीय जनता पार्टी ने वही पुराने प्रत्याशी को थोप दिया तो कांग्रेस पार्टी ने भारतीय जनता पार्टी को मात देने साफ सुथरी छवि एवं निर्विवाद युवा नया चेहरा को मौका दिया है नया चेहरा को चुनाव मैदान में उतारनेे से भाजपा की मुश्किलें और बढ़ गई है क्योकि भाजपा ने वही पुराने चेहरे पर दाव लगाया है जिससे कोतमा विधानसभा क्षेत्र की आम जनता में काफी रोष व्यापत है लोगों का कहना है कि 2008 से 2013 तक दिलीप जायसवाल ने विधायक रहते हुए कोतमा विधान सभा क्षेत्र के लिए कोई ऐसा कार्य नहीं किया है जिससे विधानसभा क्षेत्र की जनता भाजपा प्रत्याशी को दोबारा वोट दे शिवराज और मोदी की उपलब्धि बताकर जनता से वोट न मांगें दिलीप जायसवाल अपनी उपलब्धि बताए कि कोतमा विधानसभा क्षेत्र के कौन से गांव और कौन से नगर में विकास कार्य एवं जनता हित में कौन सा कार्य किया है पहले बताए फिर वोट देंगे इस तरह की पूरे विधानसभा क्षेत्र में चर्चा गर्म है। वही कांग्रेस प्रत्याशी का समीकरण बिल्कुल फिट रहा है क्योकि कांग्रेस प्रत्याशी का विरोध सिर्फ एक तरफा है और भाजपा प्रत्याशी का चौतरफा कोतमा विधानसभा क्षेत्र में कई गुटों में बटी भारतीय जनता पार्टी से टिकट दावेदारी कर रहे थे वह बिल्कुल नहीं चाहते कि भाजपा से पुराना प्रत्याशी चुनाव जीते और विधानसभा क्षेत्र की जनता में भी काफी नाराजगी देखने को मिल रही है जिसका सीधा फायदा कांग्रेस प्रत्याशी को मिल रहा सिर्फ एक ही नुकसान कांग्रेस प्रत्याशी का हो रहा वो है कोतमा विधायक मनोज अग्रवाल की नाराजगी अब मनोज खेमे के लोग कहा वोटिंग करेंगे यह कहना जरा जल्दबाजी होगी वैसे कयास यह लगाए जा रहे है कि विधायक गुट भाजपा प्रत्याशी का समर्थन कर सकते है क्योकि 2013 में हुए विधानसभा चुनाव में पूर्व भाजपा विधायक दिलीप जायसवाल ने भाजपा प्रत्याशी राजेश सोनी को हराने के लिए विधायक मनोज अग्रवाल का समर्थन किया था इसलिए मनोज को टिकट न मिलने से भाजपा प्रत्याशी दिलीप जायसवाल को समर्थन मिल सकता है। जिससे कांग्रेस प्रत्याशी सुनील सराफ को कुछ खास नुकसान नहीं उठाना पड़ेगा क्योकि सिर्फ एक विरोध के बाद बाक़ी सारे लोग सारा दल एक साथ कांग्रेस प्रत्याशी के साथ खड़े दिखाई पड़ रहे है।बाबा जी पड़ सकतें है भारी- भारतीय जनता पार्टी से नाराज चल रहें सवर्ण समाज ने पूरे प्रदेश में सपाकस पार्टी स्थापित की है जिसमें कोतमा विधानसभा क्षेत्र से ब्राहमण समाज के बेताज बादशाह किशोरी लाल चतुर्वेदी बाबा जी को प्रत्याशी बनाया गया है जो दोनों प्रमुख पार्टी का समीकरण बिगाड़ सकते है क्योकि अगर बाबा जी चुनाव मैदान में आए है तो निश्चित जीत के लिए आए है टाइम पास करने तो बिल्कुल नहीं अगर ब्राहमण समाज एकत्रित रहा तो दोनों प्रमुख पार्टी की नैया भी डूब सकतीं है कुछ कहा नहीं जा सकता।
Friday, November 9, 2018
कोतमा/आमीन वारसी - शहडोल संभाग की एकलौती समान्य सीट कोतमा विधान सभा क्षेत्र में ऐसा चुनावी घमासान मचा हुआ है कि परिणाम के बारे में कुछ कह पाना जल्दबाजी होगी क्योकि कोतमा विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय और राष्ट्रीय पार्टी के प्रत्याशी मिलाकर लगभग एक दर्जन से अधिक नामांकन पत्र दाखिल किया गया है भाजपा से दिलीप जायसवाल कांग्रेस से सुनील सराफ सपाकस पार्टी से किशोरी लाल चतुर्वेदी गोंडवाना पार्टी से राम खेलावन तिवारी आम आदमी पार्टी से अजय शर्मा बहुजन समाज पार्टी एवं अन्य निर्दलीय नामांकन पत्र दाखिल कर चुके है जिससे अब यह कह पाना मुश्किल है कि किसकी होगी जीत।टिकट वितरण के पूर्व जो कयास लगाए जा रहे थे उससे विपरीत स्थितियां दिखाई पड़ रही है पहले यह था कि भारतीय जनता पार्टी से राजेश सोनी और कांग्रेस पार्टी से मनोज अग्रवाल को प्रत्याशी बनाया जाएगा लेकिन दोनों पार्टी का अनोखे निर्णय से आम जनता और समर्थक को गहरा सदमा लगा है भारतीय जनता पार्टी ने वही पुराने प्रत्याशी को थोप दिया तो कांग्रेस पार्टी ने भारतीय जनता पार्टी को मात देने साफ सुथरी छवि एवं निर्विवाद युवा नया चेहरा को मौका दिया है नया चेहरा को चुनाव मैदान में उतारनेे से भाजपा की मुश्किलें और बढ़ गई है क्योकि भाजपा ने वही पुराने चेहरे पर दाव लगाया है जिससे कोतमा विधानसभा क्षेत्र की आम जनता में काफी रोष व्यापत है लोगों का कहना है कि 2008 से 2013 तक दिलीप जायसवाल ने विधायक रहते हुए कोतमा विधान सभा क्षेत्र के लिए कोई ऐसा कार्य नहीं किया है जिससे विधानसभा क्षेत्र की जनता भाजपा प्रत्याशी को दोबारा वोट दे शिवराज और मोदी की उपलब्धि बताकर जनता से वोट न मांगें दिलीप जायसवाल अपनी उपलब्धि बताए कि कोतमा विधानसभा क्षेत्र के कौन से गांव और कौन से नगर में विकास कार्य एवं जनता हित में कौन सा कार्य किया है पहले बताए फिर वोट देंगे इस तरह की पूरे विधानसभा क्षेत्र में चर्चा गर्म है। वही कांग्रेस प्रत्याशी का समीकरण बिल्कुल फिट रहा है क्योकि कांग्रेस प्रत्याशी का विरोध सिर्फ एक तरफा है और भाजपा प्रत्याशी का चौतरफा कोतमा विधानसभा क्षेत्र में कई गुटों में बटी भारतीय जनता पार्टी से टिकट दावेदारी कर रहे थे वह बिल्कुल नहीं चाहते कि भाजपा से पुराना प्रत्याशी चुनाव जीते और विधानसभा क्षेत्र की जनता में भी काफी नाराजगी देखने को मिल रही है जिसका सीधा फायदा कांग्रेस प्रत्याशी को मिल रहा सिर्फ एक ही नुकसान कांग्रेस प्रत्याशी का हो रहा वो है कोतमा विधायक मनोज अग्रवाल की नाराजगी अब मनोज खेमे के लोग कहा वोटिंग करेंगे यह कहना जरा जल्दबाजी होगी वैसे कयास यह लगाए जा रहे है कि विधायक गुट भाजपा प्रत्याशी का समर्थन कर सकते है क्योकि 2013 में हुए विधानसभा चुनाव में पूर्व भाजपा विधायक दिलीप जायसवाल ने भाजपा प्रत्याशी राजेश सोनी को हराने के लिए विधायक मनोज अग्रवाल का समर्थन किया था इसलिए मनोज को टिकट न मिलने से भाजपा प्रत्याशी दिलीप जायसवाल को समर्थन मिल सकता है। जिससे कांग्रेस प्रत्याशी सुनील सराफ को कुछ खास नुकसान नहीं उठाना पड़ेगा क्योकि सिर्फ एक विरोध के बाद बाक़ी सारे लोग सारा दल एक साथ कांग्रेस प्रत्याशी के साथ खड़े दिखाई पड़ रहे है।बाबा जी पड़ सकतें है भारी- भारतीय जनता पार्टी से नाराज चल रहें सवर्ण समाज ने पूरे प्रदेश में सपाकस पार्टी स्थापित की है जिसमें कोतमा विधानसभा क्षेत्र से ब्राहमण समाज के बेताज बादशाह किशोरी लाल चतुर्वेदी बाबा जी को प्रत्याशी बनाया गया है जो दोनों प्रमुख पार्टी का समीकरण बिगाड़ सकते है क्योकि अगर बाबा जी चुनाव मैदान में आए है तो निश्चित जीत के लिए आए है टाइम पास करने तो बिल्कुल नहीं अगर ब्राहमण समाज एकत्रित रहा तो दोनों प्रमुख पार्टी की नैया भी डूब सकतीं है कुछ कहा नहीं जा सकता।
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