कोतमा- आमीन वारसी- समाज को कलंकित करनें वाला एक मामला सामने आया है बता दे कोतमा बाजार अंजुमन मस्जिद की संपत्ति खतरे में नज़र आ रही हालात कुछ इस तरह का इशारा कर रहें कि पूर्व सदर अहमद एवं उनके सहयोगियों की गंदी नजर उक्त संपत्ति पर है ! पूर्व सदर अहमद एवं सहयोगियों द्वारा अब तक अंजुमन की संपत्ति से लाखों रूपये का गवन किया जा चुका है जिसकी शिकायत बाज़ार अंजुमन कमेटी के नवनियुक्त सदर एवं सदस्य प्रशासन से कर चुके है साथ ही अनाधिकृत वसूली कर्ताओं के विरुद्ध कार्यवाही की मांग भी कर रहें !
लेकिन शिकायत के बावजूद पुलिस प्रशासन अनाधिकृत व्यक्तियों के विरुद्ध किसी भी प्रकार की कार्यवाही करनें से बचती नज़र आ रही ! इसका मतलब साफ़ है कि कोतमा एसडीएम और कोतमा पुलिस को एक बार फिर किसी बड़ी घटना का इंतजार है ! बाज़ार अंजुमन कमेटी के सदर मोहम्मद यूनुस मंसूरी ने सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर पूरी जानकारी दी प्रेस कॉन्फ्रेंस में अंजुमन कमेटी के नवनियुक्त सदर मोहम्मद यूनुस मंसूरी ने पत्रकारों को बताया कि कोतमा बाजार अंजुमन कमेटी के पूर्व सदर अहमद को मध्यप्रदेश वक्फ बोर्ड कमेटी द्वारा हटा दिया गया फिर भी अंजुमन की संपत्ति पर गंदी नज़र होने के कारण जबलपुर हाईकोर्ट में स्टे का आवेदन किया गया मगर माननीय उच्च न्यायालय ने अहमद द्वारा दिए गए आवेदन को निरस्त कर दिया गया ! जब सारे रास्ते बंद हो गए तो सारी हदें पार करतें हुए मोहम्मद पूर्व सदर अहमद द्वारा फर्जी रसीद छपवा कर अवैध रूप से चंदा वसूली का कार्य किया जा रहा ! नवनियुक्त बाजार अंजुमन के सदर मोहम्मद यूनुस ने कहा कि अहमद के कार्य काल में कई लाख रुपए का गवन किया गया है !
आखिर अहमद क्यों नही छोड़ना चाहते सदर का पद -
पहलें बात सिर्फ बाजार अंजुमन की थी लेकिन अब मुस्लिम समाज सहित बात पूरे नगर में आग की तरह फैल चुकी है बल्कि चारों ओर यही चर्चा आम हो रही है कि आखिर मोहम्मद अहमद का सदारत से मोह भंग क्यों नही हो रहा आखिर अंजुमन कमेटी एवं मस्जिद का सदर अध्यक्ष बनें रहनें से अहमद का क्या फायदा हो रहा आखिर सदर अध्यक्ष का पद छूटनें पर अहमद द्वारा क्यों इतना वादविवाद किया जा रहा ! जबकि आवाम जनता या फिर वक़्फ़ बोर्ड कमेटी द्वारा सदर नियुक्त किया जाता है इससे पहले अहमद को वक़्फ़ बोर्ड द्वारा सदर नियुक्त किया गया था और अब मों युनुस को नियुक्त किया गया है तो इसमें लड़ाई किस बात की है ! बल्कि अहमद को अच्छें मन से बिना किसी वादविवाद के सदर पद से इस्तीफा देकर समस्त जिम्मेदारी नवनियुक्त सदर मों युनूस को सौप देनी चाहिए ! क्योंकि अंजुमन की संपत्ति किसी कि जागिर नही है जो जब तक जिसका मन चाहे वो अंजुमन मस्जिद का सदर अध्यक्ष बना बैठा रहें ये तय आवाम जनता करेगी कि कौन सदर रहेगा और कौन नही रहेगा किसी भी मस्जिद अंजुमन का सदर अध्यक्ष निस्वार्थ रूप से उक्त मस्जिद अंजुमन की देखरेख सेवा करनें के लिए होता है ! ना कि अंजुमन की संपत्ति पर कब्जा करनें के लिए ! लेकिन अहमद द्वारा किये जा रहें इस कृत्य से साबित होता है कि सदर पद छोड़ देने से कही ना कही अहमद का काफ़ी नुकसान हो रहा अगर ऐसा नही है तो फिर मध्यप्रदेश वक़्फ़ बोर्ड द्वारा जब मों युनूस को बाज़ार अंजुमन कमेटी का सदर नियुक्त कर दिया गया है तो अहमद शांति पूर्ण तरीके से बाज़ार अंजुमन की समस्त जिम्मेदारी नवनियुक्त सदर को सौंप देना चाहिए जिससे आमजन को अहमद पर किसी प्रकार का संदेह ना रहें ! नही तो यह कहने में हमें कोई हर्ज नही होगा कि बाज़ार अंजुमन मस्जिद की संपत्ति अहमद एवं उनके सहयोगी कब्जा करना चाहते है !
बताया गया कि 6 वर्ष से मोहम्मद अहमद द्वारा बाजार अंजुमन मस्जिद के सदर अध्यक्ष रहें है और आज दिनांक तक किसी प्रकार का लेखा-जोखा ब्यौरा बाज़ार अंजुमन की आवाम जनता को नहीं दिखाया गया तो क्या पूर्व सदर अध्यक्ष अहमद एवं उनके सहयोगियों द्वारा बाज़ार अंजुमन मस्जिद के नाम पर वसूल रहें चंदे को अपना व्यापार समझकर निजी लाभ लिया जा रहा है ! इस बात से मुस्लिम समाज में भारी आक्रोश है यदि समय रहतें मोहम्मद अहमद व उनके सहयोगियों पर शासन प्रशासन कार्यवाही नहीं करता तो किसी ना किसी दिन कोई बड़ा विवाद उत्पन्न हो सकता है !
आए दिन अनाधिकृत लोगों द्वारा विवाद की स्तिथि उत्पन्न की जाती है वक्फ बोर्ड अनुसार अंजुमन मस्जिद की आय को पहले बैंक में जमा किया जाता है फिर खर्च के लिए बैंक से राशि निकालकर खर्च किया जाता जिसका बिल बाउचर होना आवश्यक है जो समय अनुसार मध्यप्रदेश वक़्फ़ बोर्ड को अवगत कराने सहित चंदा देने वाली आवाम जनता को भी बताना पड़ता है !
लेकिन पूर्व सदर अहमद एवं कमेटी द्वारा मध्य प्रदेश वक्फ बोर्ड के आदेश का पालन भी नहीं किया गया ! बाजार अंजुमन कमेटी के नव नियुक्त सदर ने कहा कि इस संबंध में कोतमा थानें में कई बार इसकी सूचना दी जा चुकी है किंतु कोतमा थाना प्रभारी द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की जा रही !
इसके पहले जब मोहम्मद शमशीर खान को मध्यप्रदेश वक्फ बोर्ड द्वारा सदर नियुक्त किया गया था जिससेे नाराज इन्ही अनाधिकृत लोगों द्वारा शमसीर के साथ मारपीट की गई थी आज भी थाने में एफआईआर दर्ज है ! रोज रोज के विवाद से परेशान होकर शमसीर खान द्वारा सदर पद से इस्तीफा दे दिया गया था !
प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया गया कि अगर यही हाल रहा तो निश्चित ही बड़ा विवाद कभी भी हो सकता हैं जिसकी जिम्मेदारी शासन प्रशासन की होगी शासन प्रशासन को इस ओर गंभीरता दिखानी चाहिए जिससे कोई बड़ी अनहोनी होने से रोका जा सके !
इनका कहना: हमारे पास शिकायत आई है एसडीएम साहब से चर्चा हुई थी एसडीएम साहब अभी बाहर है जैसे ही एसडीएम साहब आएगें वैसे ही जांच कर कार्यवाही करेंगे!
सुन्द्रेश मरावी
थाना प्रभारी कोतमा !
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