कोतमा- आमीन वारसी- बीते दिनों नेता प्रतिपक्ष सहप्रभारी की मौजूदगी में कांग्रेस कार्यकर्ताओं द्वारा सुनील सराफ मुर्दाबाद के नारे और मुह पर पोती कालिख से एक बात तो साफ़ हो गई है कि भले ही मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार बन जाए ! और ये भी मान लिया जाए कि कांग्रेस हाईकमान संगठन कांग्रेस कार्यकर्ताओं के लाख विरोध करनें के बाद भी अगर सुनील सराफ को ही आगामी विधायक प्रत्याशी बनाया जाता है ! उसके बाद भी कोतमा विधानसभा के आगामी विधायक सुनील सराफ नही बन पाएंगे !
जैसी करनी वैसी भरनी-
जैसी करनी वैसी भरनी फिल्म का एक मशहूर गीत याद होगा! जो बोएगा वही पाएगा तेरा किया आगें आएगा सुख दुख है क्या फल करमो का जैसी करनी वैसी भरनी ! यह गीत कोतमा विधायक सुनील सराफ जी पर बिल्कुल फिट बैठ रहा ! मतलब ये कि सुनील सराफ का किया हुआ अब उनकें आगें आनें लगा है जो सुनील सराफ की आगामी राजनैतिक सफर के लिए अच्छा नही है ! सुनील सराफ जी वर्ष 2018 में विधायक बननें के बाद से अपनी ही पार्टी के वरिष्ठ जनों कार्यकर्ताओं को निचा दिखानें वरिष्ठों का मुह चिढ़ाने जैसा कारनामा किया गया कभी पार्टी कार्य कर्ताओं को मान सम्मान नही दिया गया! बल्कि विधायक जी कांग्रेस पार्टी के पदाधिकारी कार्यकर्ताओं को हमेशा ये कहते नज़र आए कि ये लोग कांग्रेस पार्टी के नही है ! और यही कहते कहते 5 साल का अपना कार्यकाल समाप्त कर लिये ! सुनील सराफ जी विधायक बनने के बाद सिर्फ कांग्रेस पार्टी पदाधिकारियों कार्यकर्ताओं से अपनी पुरानी रंजिश के एवज़ में कभी किसी को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया तो किसी कार्यकर्ता पर थाने में शिकायत करके पुलिस से प्रताड़ित कराया !
विधायक जी के कर कमलों से कई हुए भाजपाई-
15 महीने की कमलनाथ सरकार में विधायक सुनील सराफ जी (वन मेन आर्मी) की तरह अपनी मनमानी करते रहें और जन्म जाति कांग्रेसी पदाधिकारी कार्यकर्ता परेशान होते रहें ! नतीजा ये हुआ कि एक एक करके वरिष्ठ कांग्रेसी भाजपा का दामन थामते चलें गए और जो बचें वो विधायक जी से नाता तोड़कर हाईकमान संगठन की गाइडलाइन पर का काम करतें रहें ! जो कांग्रेस छोड़ कर भाजपा में शामिल हुए और जो बचें हुए कांग्रेसी दोनों मिलकर वर्ष 2023 विधानसभा चुनाव का इंतजार कर रहें थें जो अब समाप्त हुआ !
कल और आज में बहोत फर्क है -
एक बात पर गौर करना चाहिए कि सुनील सराफ के बीते हुए कल और आज में बहोत अंतर है वर्ष 2018 विधानसभा चुनाव में जब सुनील सराफ को कांग्रेस और संगठन ने अपना प्रत्याशी घोषित किया था! तो अन्य दावेदारों ने इसका विरोध जरूर किया था जो एक आम बात है चुनाव के दौरान ये सब होता रहता है! भले ही कुछ लोगों ने सुनील सराफ का साथ ना दिया हो लेकिन सड़क पर उतर कर किसी कांग्रेसी ने खुलकर सुनील सराफ का विरोध भी नही किया ! साथ ही सुनील सराफ कोतमा विधानसभा क्षेत्र की आमजनता के लिए एक साफ़ स्वच्छ छवि का बेदाग चेहरा था! और जनता ने अपना आशीर्वाद दिया सुनील सराफ विधायक बन गए !
ये बात तो हो गई बीते हुए कल की लेकिन आज की बात करें तो सुनील सराफ एक बदनाम चेहरा बन चुका है! चाहे महिला से छेड़छाड़ का मामला हो फिर तमंचे पे डिस्को खाना खाकर ढाबा वाले का पैसा ना देना! सुनील सराफ ने गलत क्या किया और क्या नही किया इसकी पुष्टि हम नही करतें ! लेकिन क्षेत्र में हो रही जनचर्चा के मुताबिक आज कोतमा विधानसभा क्षेत्र में सुनील सराफ का विरोध सर चढ़कर बोल रहा ! अगर कांग्रेस पार्टी और संगठन सुनील सराफ को पुनः प्रत्याशी बनाती है तो निश्चित ही कांग्रेस पार्टी और संगठन को कोतमा विधानसभा सीट गवानी पड़ सकती है !
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