Wednesday, May 31, 2023

कमीशन खोरों ने किया महाकाल के नाम पर महा घोटाला


कोतमा- आमीन वारसी- मध्यप्रदेश उज्जैन मेें 30 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चली हवा ने महाकाल लोक में हुए घटिया निर्माण कार्य की पोल खोल कर रख दी! महाकाल कारीडोर का उदघाटन प्रधानमंत्री जी ने किया और महाकाल लोक निर्माण कार्य का ठेका प्रधानमंत्री मोदी जी के निवास स्थान गुजरात की एक कंपनी को दिया गया जिसनें गुणवत्ता का बिल्कुल भी ध्यान नही रखा ! इस तरह महाकाल लोक में मूर्तियां बनानें के लिए देश प्रदेश की आम जनता ने महंगी कीमत चुकाई! प्रधान सेवक जी के चहेते गुजराती ठेकेदार ने गुणवत्ता को ताक पर रख मूर्तियां बनानें में जमकर खेल किया ! ना मजबूती का ध्यान रखा ना ही हवा के प्रेशर की चिंता की अब परिणाम देश प्रदेश की आम जनता के सामने है ! जबकि पांच फीट ऊंचाई पर मूर्तियां स्थापित करनें पर उसे हवा के प्रेशर मुताबिक डिजाइन किया जाता है! फायबर की मूर्तियों के भीतर भी मार्बल की टुकडि़यां भरकर उसे मजबूत किया जाता है जिससें मूर्तियां हवा का प्रेशर झेेल सके, लेकिन महाकाल लोक में सप्तऋषि की मूर्तियां खोखली रखी! ये बात भी मूर्तियां टूटने पर ही उजागर हुई ! 

 फायबर मूर्तियों में इस्तेमाल की गई मेट की मोटाई भी कमजोर थी यदि मजबूत होती तो मूर्तियां गिरने पर टूटती नहीं बल्कि उसमें खरोचें आती या फिर घीस जाती लेकिन महाकाल लोक की कई मूर्तियां गिरते ही टूट गई, जो यह साबित कर रही है कि घटियां निर्माण करके मूर्तियां बनाई गई थी ! 


खोखली मूर्तियां लगाना लापरवाही-

मूर्तिकार बताते है कि आमतौर पर तीन-चार फीट की जो फायबर की मूर्तियां बनाई जाती है, उसकी थिकनेस पतली रहती है, लेकिन महाकाल लोक मेें 10 फीट से ज्यादा ऊंचाई की मूर्तियों में पतली परत के फायबर का इस्तेमाल हुआ इसी वजह से मूर्तियां गिरने के कारण टूट गई! पांच फीट से ज्यादा की ऊंचाई पर स्थापित करनें के दौरान हवा के प्रेशर के हिसाब से मूर्तियों को भीतर से मजबूत किया जाता है! मूर्ति के बेस से सिर तक स्टील की मजबूती दी जाती है और फिर भीतर मार्बल की टूकडियां से मूर्तियों को भरा जाता है ताकि मजबूती बनी रहें और मूर्तियां हवा का प्रेशर झेेल सके लेकिन महाकाल लोक की मूर्तियां खोखली रखी गई इसी वजह से मूर्तियां हवा का प्रेशर नहीं झेल पाई खोखली मूर्ति धराशायी हो गई! 

एक ही साल में बेहाल -

मूर्तिकारों का कहना है कि फायबर की मूूर्तियां खुले एवं सार्वजनिक स्थानों पर नहीं लगाई जाती वो इसलिए कि आकाशीय बिजली गिरने से फाइबर की मूर्ति जल जाती है! साथ ही खुले में फायबर कुछ समय बाद कमजोर हो जाता है और फायबर में दरारें भी आ जाती है! लेकिन इन सब बातों का ध्यान प्रधानमंत्री के चहेते गुजराती ठेकेदार द्वारा महाकाल लोक मेें रखा गया ! महाकाल लोक मेें फायबर की मूर्तियां लगवाने वाली सरकार और उनके अफसरों की सोच पर तरस आता है! हवा की गति 30 किलो मीटर प्रति घंटा थी यदि 50 किलोमीटर प्रति घंटा होती फिर महाकाल लोक को हवा महल बनते देर नहीं लगता ! 

40 लाख रुपए प्रति मूर्ति का भुगतान -

350 करोड़ की लागत से बनेे महाकाल लोक में मूर्तियां बनाने का ठेका प्रधानमंत्री की शिफारिश पर गुजरात की कंपनी को दिया गया था! बताते है कि प्रति मूर्ति 40 लाख रुपये का भुगतान किया गया! सात माह बाद जब महाकाल लोक मेें फायबर की मूर्तियां हवा में गिरकर टूट गई तो कमीशन खोर अफसर यह कहते नजर आ रहें कि पत्थर की मूर्तियां लगाई जानी है ! 

पत्थर की मूर्तियां में समय लगता है, इसलिए फायबर की मूर्ति लगाई-

कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम ने कहा कि पत्थर की मूर्तियां बनाने में समय लगता इसलिए फायबर की मूर्तियां लगाई गई थी धीरे-धीरे उन्हें बदल कर पत्थर की मूर्तियां लगाई जाएगी! सभी को पता है कि फायबर की मूर्ति लंबे समय तक टिकाऊ नही रह सकती ! सवाल यह है कि 350 करोड़ का बंदरबांट करनें वाली भारतीय जनता पार्टी सरकार उनके नुमाइंदे और ठेकेदार अन्य सभी जानतें थें कि खुले में लगी फायबर मूर्तियां हवा के एक झोके से ही धराशायी हो जाएगी तो फिर जनता का पैसा पानी में क्यों बहाया गया ! क्या महाकाल लोक निर्माण कार्य मेें लगें 350 करोड़ रुपए प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का व्यक्तिगत था ! जो चंद हवा के झोकों में उड़ा दिया गया !

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