कोतमा- आमीन वारसी- तहसील अंतर्गत पटवारी हल्का कल्याणपुर कोतमा महा विद्यालय के बगल से शासकीय भूमि पर जोताई कराकर कब्जा करने का मामला सामने आया! बताया जाता है कि उक्त भूमि की जोताई एवं कब्जा करने का काम वार्ड नं 11 गोविंदा गाँव के पार्षद छोटेलाल द्वारा किया गया है! जब इस संबंध में छोटेलाल से बात की गई तो छोटेलाल ने ये स्वीकार किया कि उक्त जमीन पर मैंने ही जोताई कराया है क्योंकि उक्त भूमि खसरा नं 236 हम आदिवासी परिवार की पुस्तैनी भूमि है! हमारे बाबा दादा कालेज बनने के पूर्व से उक्त भूमि पर जोताई बोआई कृषि कार्य करते चले आ रहें!
आदिवासी भूमि पर कालेज और फिल्टर प्लांट-
छोटेलाल ने बताया कि लगभग हमारी एक एकड़ भूमि पर कालेज और मिनी फिल्टर प्लांट बनाया गया है जिसमें हम आदिवासी परिवार के लोग समाज एवं नगर विकास को ध्यान में रखते हुए उक्त भूमि अपनी स्वेच्छा से दान किये है! क्योंकि आदिवासी दलित परिवार समाज हित व देश हित में विश्वास रखता है किसी अन्य व्यक्तियों या अन्य शासकीय अशासकीय भूमि लूटकर कब्जा करने में विश्वास नही रखता! फिर भी किसी व्यक्ति विशेष या शासन को ये लगता है कि मैंने या किसी भी आदिवासी दलित परिवार ने शासकीय अशासकीय भूमि पर कब्जा किया है या कर रहा है तो कोतमा नगर वासियों के सामने उक्त भूमि खसरा नं 236 का श्रीमाकंन करा ले !
अगर श्रीमाकंन उपरांत उक्त भूमि खसरा नं 236 शासन की भूमि निकलती है तो सबके सामने तत्काल ही उक्त भूमि छोड़ दूगां! लेकिन शासन को हम आदिवासी परिवार को भी खसरा नं 236 में साढ़े 5 एकड़ जमीन देनी पड़ेगी!
सन् 1975 का रिकार्ड है मौजूद-
छोटेलाल ने बताया कि सन् 1975 का रिकॉर्ड हम आदिवासी परिवार के पास मौजूद है साथ ही कोतमा तहसील के राजस्व रिकार्ड में भी कोतमा तहसील से एस डी एम एवं तहसीलदार आर आई साहब हल्का पटवारी सन 1975 के रिकार्ड का मिलान करले हमारे पास सन् 1975 का रिकॉर्ड व पट्टा मौजूद है! आदिवासी दलित परिवार कभी किसी व्यक्ति या शासकीय संपत्ति पर अवैध रूप से कब्जा नही करता बल्कि कोतमा नगर में ही ऐसेे कई धन्ना सेठ भू माफिया है जो गरीब आदिवासियों और शासकीय भूमि पर कब्जा करके बड़ी बड़ी इमारत बना रखें है! और आदिवासी दलित परिवार तहसील न्यायालय का चक्कर लगाते लगाते मर जाता है या फिर थक हार कर अंत में धन्ना सेठों को उक्त भूमि दान समझ कर छोड़ देता है! इसलिए कह रहा आदिवासी परिवार दान देता है लेता नही !
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