कोतमा- आमीन वारसी- नगर पालिका अध्य्क्ष बनने की राह नही आसान बता दे कि मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अपने कार्यकाल के दौरान होने वाले नगरीय निकाय चुनाव को लेकर एक आदेश जारी किया था कि अब नगर पालिका अध्य्क्ष नगर की जनता नही पार्षद चुनेगे! भले ही सरकार बदल गई है मगर फार्मूला कमलनाथ का ही चलेगा मतलब नगर पालिका अध्य्क्ष का चुनाव अप्रत्यक्ष रूप से ही होगा नवनिर्वाचित पार्षद अपना अध्य्क्ष बनाएंगे! और जनता अपना वार्ड पार्षद चुनेगी अब सवाल यह है कि नगर पालिका अध्य्क्ष का सपना पाले हुए नेतागण कमलनाथ फार्मूले से अध्य्क्ष बन पाएंगे! क्योंकि कमलनाथ वाला फार्मूला 19 वी सदी का है और नेता 21 वी सदी के है तो क्या ऐसे में नगरीय निकाय चुनाव में खिल पाएगा कमल! ऐसा हम इसलिए कह रहें कि यह फार्मूला उस समय का है जिस समय कांग्रेस पार्टी पूरी तरह शबाब पर थी और कांग्रेस पार्टी अपने एक एक कार्यकर्ता नेता का निर्माण उसके घर वार्ड मोहल्ले से करती थी शायद इसीलिए कांग्रेस पार्टी पूरे देश में 70 साल सत्ता में रही! शायद इसलिए कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ एवं अनुभवी नेता कमलनाथ ने इस फार्मूले का इस्तेमाल किया था जिससे पुनः कांग्रेस पार्टी की जड़ें मज़बूत हो कांग्रेस पार्टी का हर एक कार्यकर्ता मजबूत हो और फिर से कांग्रेस पार्टी का परचम लहराए! और इस फार्मूले पर कांग्रेस पार्टी ने अपना काम शुरू कर दिया है जिस पर कुछ हद तक सफल होते भी दिखाई पड़ रही अगर कांग्रेस पार्टी व कार्यकर्ता इसी तरह डटे रहें तो निश्चित ही नगरीय निकाय चुनाव में अधिकतर पार्षद कांग्रेस पार्टी से जीतकर आएगें!
भारतीय पार्टी में अंतर्कलह का माहौल-
भारतीय जनता पार्टी से नगरीय निकाय चुनाव लड़ने वाले पार्षद एवं अध्यक्ष बनने वाले नेताओं की लंबी सूची है जिसमें हर वो ऐरा गैरा सड़क छाप नेता पार्षद बनकर नगर पालिका अध्य्क्ष बनने की बात कर रहा! जिसे अपने ही वार्ड वासियों का ठीक तरह से नाम भी नही मालूम है कुछ खास पहचान भी नही है वो भी छुट भैया नेता कह रहा कि अगर पार्टी ने मुझे टिकट नही दिया तो हम पार्टी द्वारा बनाए गए प्रत्याशी का प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से विरोध करेंगे! इससे साफ़ जाहिर होता है कि भारतीय जनता पार्टी में कुछ ठीक नही चल रहा ये बात सही भी है अगर पार्टी बार बार एक ही व्यक्ति को अपना प्रत्याशी बनाएगी तो विरोध होना लाजमी है! क्योंकि हर वो पार्टी कार्यकर्ता का अधिकार है कि उसे भी नगरीय एवं पंचायत स्तर का चुनाव लड़ने का मौका दिया जाना चाहिए! मगर अब भारतीय जनता पार्टी में ऐसा नही है जो नेता एक बार अगर गलती से भी चुनाव जीतकर कुर्सी पर बैठ गया तो फिर वो नेता कुर्सी छोड़ना ही नही चाहता चाहें फिर उसने अपने कार्यकाल के दौरान नगर वार्ड मोहल्ले का विकास किया हो या ना किया हो नगर की जनता के हित में कोई कार्य किया हो या फिर ना किया हो! सिर्फ वो नेता पार्टी हित एवं व्यक्तिगत रुप से पार्टी के बड़े नेताओं के हित में कार्य किया होना चाहिए वही नेता वही कार्यकर्ता को पार्टी द्वारा पुनः प्रत्याशी बनाया जाता है! इस बात को लेकर भारतीय जनता पार्टी कार्यकर्ताओं में काफी असंतोष नज़र आ रहा है! जिसका सीधा फायदा कांग्रेस पार्टी को मिलेगा इसलिए भारतीय जनता पार्टी नगरीय निकाय चुनाव में अच्छी तरह से नगर एवं वार्ड का सर्वे कराकर जिताऊ व्यक्ति को ही अपना प्रत्याशी बनाएं अन्यथा जय जय कमलनाथ हो जाएगा!
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