Thursday, June 2, 2022

18 दिनों से पीड़ित कश्मीरी पंडित धरनें पर अब कहा गए कश्मीरी पंडितों के हितैषी फर्जी राष्ट्रवादी लोग


अनूपपुर- आमीन वारसी- कहते है सत्य परेशान हो सकता है लेकिन कभी पराजित नही हो सकता चंद दिनों में ही भाजपा सरकार और फर्जी राष्ट्रवादियों द्वारा कश्मीर फाइल्स फिल्म के जरिए देश में प्लानिंग के तहत जो संप्रदायिक माहौल बनाने का प्रयास किया गया आखिर उसकी सत्यता देश वासियों के सामने आ ही गई! आज से कुछ महीने पहले देश वासियों को एक फिल्म दिखाई गई थी ! जिसमें पीड़ित कश्मीरी पंडितों पर हुए नरसंहार को मिर्च मसाला लगाकर देश में मुस्लिम समुदाय के खिलाफ नफ़रत फैलाने एवं पैसा कमाने के लिए दिखाया गया था! लेकिन आज मै भारत वासियों को रियल में भारतीय जनता पार्टी सरकार और फर्जी राष्ट्रवादियों की असलियत के साथ साथ हाल ही में पीड़ित कश्मीरी पंडितों पर हो रहें अत्याचार से अवगत कराना चाहता हूँ !कश्मीरी पंडितों के हितैषी पीड़ित कश्मीरी पंडितों के नाम पर अपनी राजनीति चमकाने वाले वोट की राजनीति करने वाले देश वासियों को पीड़ित कश्मीरी पंडितों की पीड़ा दिखा सुनाकर पैसा कमाने वाले देश वासियों के दिलों में नफ़रत का जहर घोलने वाले फर्जी कश्मीर फाइल्स फिल्म का समर्थन और प्रमोशन करने वाले कश्मीरी पंडितों से झूठा प्रेम दिखाने वाले फर्जी राष्ट्रवादी अब कहाँ गए! जी हाँ बडे़ अफसोस के साथ यह कहना पड़ रहा है कि इन दिनों कश्मीर में हालात 90 के दशक से भी ज्यादा भयावह है! पीड़ित कश्मीरी पंडितों को आतंकवादियों द्वारा मारा जा रहा है, वे दूसरे राज्यों में जाने को मजबूर हो रहे हैं! और 56 इंच का सीना लिए हुए भारतीय जनता पार्टी की मोदी सरकार सहित कश्मीर फाइल्स फिल्म का गुणगान करने वाले सारे फर्जी राष्ट्रवादी दहशत गर्दो आतंक वादियों के आगें नतमस्तक नज़र आ रही! पीड़ित कश्मीरी पंडितों को चुन-चुन कर मारा जा रहा है और कश्मीरी पंडितों की हत्याओं को रोकने के लिए ना तो सरकारें आगें आ रही और ना ही भाजपा नेता व फर्जी राष्ट्रवादी! बतादे कि बीते दिनों सरकारी कर्मचारी राहुल भट्ट समेत 16 कश्मीरी पंडितों को चुन-चुन कर मारा गया है! और मोदी सरकार नया राष्ट्रपति बनाने के लिए गुणा गणित लगा रही! सरकार के इस रवैये से साफ जाहिर होता है कि मोदी सरकार को ना देश से मतलब है ना देश वासियों से कोई लेना देना नही है! अब ऐसा देखा जा रहा है पीड़ित कश्मीरी पंडित ट्रक ड्राइवरों से मोलभाव कर रहे हैं, ताकि सामान शिफ्ट किया जा सके. वह कश्मीर से निकलकर जम्मू या किसी दूसरे राज्य में जाने को मजबूर हो रहे हैं. वापस वही वक्त आ रहा है जो 90 के दशक में था! अब कश्मीरी पंडितों के साथ दूसरी बार ऐसा हो रहा है! इससे पहले भी भाजपा सरकार में ही 1990 में कश्मीरी पंडितों के साथ अमानवीय व्यवहार किया गया था! केंद्र की मोदी सरकार व फर्जी राष्ट्रवादियों से पीड़ित कश्मीरी पंडितों के साथ साथ मेरी भी मांग है कि कश्मीरी पंडितों को उचित सुरक्षा दी जाए! क्योंकि आज कश्मीरी पंडित बहुत दुखी हैं! पीड़ितों की सरकार से सिर्फ एक ही मांग है कि आतंकवादियों से उन्हें सुरक्षा दी जाए कश्मीरी पंडित वापस हिम्मत करके कश्मीर में जाकर बसे थे. वहां जाकर उन्होंने अपना घर बसाया लेकिन अब उनके साथ वही हो रहा है, जो पहले 90 के दशक में हो चुका है. उन्हें चुन-चुनकर उनके घर-दफ्तर में घुसकर और सड़कों पर मारा जा रहा है. यह अमानवीय है. इंसानियत और देश के खिलाफ है. उसे रोकने के लिए कोई कुछ नहीं कर रहा है जब कश्मीरी पंडित भाई-बहन इसका विरोध करते हैं, तो उनको उनकी कॉलोनी में बंद कर दिया जाता है, ताकि वह आवाज न उठा सकें. वे लोग अपने किसी करीबी को मरते हुए देखते हैं और फिर जब वे इसके खिलाफ आवाज उठाने की कोशिश करते हैं, तो उनकी आवाज को दबा दिया जाता है, यह कैसा न्याय है. चाहे सरकारी कर्मचारी राहुल भट्ट हो,श्रीनगर में रहने वाले केमिस्ट एमएल बिंद्रू हो या फिर स्कूल टीचर रजनी बाला हो, इस तरह 16 कश्मीरी पंडितों को इस साल मारा गया है. यह सब कश्मीर समाज का हिस्सा हैं. कश्मीर का आम आदमी यही चाहता है कि कश्मीर में रहने वाले हिंदू और मुसलमान सभी एक साथ रहें और खुशी से रहें! लेकिन आतंकवादी ताकतें यह नहीं चाहतीं कि सभी कश्मीरी भाई एक साथ रहें! कश्मीरी भाईयों की एकता आतंकवादियों के लिए सबसे बड़ा खतरा है!अंध भक्तों को छोड़कर मेरी खबर पढ़ने वाले सभी पाठकों से मेरा विनम्र निवेदन है कि कश्मीरी पंडितों पर हो रहें अत्याचार के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाएं केन्द्र एवं राज्य सरकारों से मांग करें कि आतंकियों का जड़ से सफाया करें जिससे कश्मीर के सभी नागरिक अमन चैन से अपना जीवन यापन कर सकें!

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