कोतमा- आमीन वारसी- ऐसा मै नही कह रहा इन दिनों नगर में यह चर्चा आम हो चली है कि चुनावी बिगुल बजते ही नगर पालिका अध्य्क्ष और वार्ड पार्षद बनने की चाहत लिए नेतागणों की रातों की नींद उड़ी हुई है दिन का चैन खोया हुआ है नेतागण सुबह से देर रात तक सिर्फ जनता सेवा में लगे रहतें है! अचानक से नेताओं को नगर शहर गली मोहल्ले की अव्यवस्था के साथ ही आमजनता की समस्या भी नज़र आने लगी! नगर की आम जनता के नगर पालिका संबंधित कार्य दनादन हो रहें बल्कि नेताओं द्वारा आमजन तक घर पहुँच सेवा भी प्रदान की जा रही! ये कहने में कोई हर्ज नही कि कुर्सी पाने की लालच नगर पालिका अध्यक्ष एवं वार्ड पार्षद बनने की चाहत ने नेताओं को इतना मजबूर कर दिया है कि नेतागण नगर की आम जनता को भगवान मानना शुरू कर दिए है!इन दिनों नेताओं द्वारा चरण वन्दना दुआ सलाम का सिलसिला भी जारी है! शायद इसलिए नगर में जनचर्चा है कि नेताओं के रवैये में अचानक से बदलाव आ गया लगता है अपने क्षेत्र में चुनाव आ गया! तो नगर की जनता से कहना है कि भले ही चुनाव आ गया है मगर इसमें खुश होने जैसी कोई बात नही जनता को नेताओं से आवभगत कराने का अवसर मात्र 5 साल में सिर्फ एक बार ही मिलता है बाकी पूरे 5 साल तक आमजनता को नेताओं की आवभगत करनी पड़ती है! इसलिए इतना हैरान न हो यह सिर्फ एक चुनावी मंत्र है जिसका उपयोग चुनाव के दौरान नेताओं द्वारा चुनावी क्षेत्र में किया जाता है! और चुनाव परिणाम आने के बाद इस मंत्र के कोई मायने नही है! बहरहाल नेतागण नगर पालिका चुनाव की तैयारी में जुट गए है! बस आरक्षण प्रक्रिया का इन्तजार है नेता अभी से ही अपनी अपनी पार्टी से टिकट की मांग कर रहें है अब देखना यह है कि नगर पालिका चुनाव मैदान में कितने नए पुराने चेहरे उतरते है !
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