कोतमा- आमीन वारसी- ऐसा हम इसलिए कह रहे कि जैसे ही खनिज इंस्पेक्टर एवं माइनिंग आफिसर से एक जिम्मेदार पत्रकार खनिज संबंधित सवाल पूछता है या जाचं की मांग करता है तो खनिज विभाग के जिम्मेदारों के हाथ पाव फूलने लगते है!अगर ऐसा नही है तो फिर खनिज विभाग के जिम्मेदार अवैध खनन संबंधित समाचार प्रकाशन एवं पत्रकार संतोष चौरसिया द्वारा की गई लिखित शिकायत पर निष्पक्ष जाचं कर रेत माफियाओं पर कार्यवाही क्यों नही कर रहा!वो इसलिए कि यह बात सच है और सब जानते है कि खनिज विभाग रेत माफियाओं के बीच रिश्ता क्या कहलाता है!जिले सहित कोयलांचल में खनिज महकमे की मिलीभगत से अवैध खनन और परिवहन जोरों पर चल रहा है! वरिष्ठ पत्रकार संतोष चौरसिया ने बताया कि वैधानिक खदान की आड़ में व्यापक पैमाने पर सरकारी और निजी जमीनों पर अवैध खनन हो रहा है।जिसकी शिकायत खनिज विभाग से लेकर कलेक्टर तक कर चुका हूँ!लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हो रही स्थिति यह है कि खनिज महकमे के लोगों द्वारा शिकायत करने वाले की पहचान उजागर कर दी जाती है,जिससे धमकियां तक मिलती हैं! मामले में क्षेत्र के खनिज विभाग निरीक्षक माइनिंग आफिसर की भूमिका पर निश्चित ही सवाल खड़े होगे।
अवैध खनन की जाचं अवैध खनन माफियाओं के साथ-
अनूपपुर जिले का खनिज विभाग अनोखा विभाग है जो अवैध खनन की शिकायत पर अवैध खनन माफियाओं के साथ मिलकर अवैध खनन की जाचं करने पहोचते है! कुछ इस तरह दृश्य 22 जनवरी को केवई नदी चंगेरी घाट में जाचं के दौरान देखा गया जहाँ खनिज निरीक्षक विवादित रेत खदानों की जाचं करने की बात कहकर पहले शिकायतकर्ता संतोष चौरसिया को कटकोना घाट एवं चंगेरी घाट बुलाया जाता है फिर रेत माफियाओं को सूचित कर दिया जाता है कि जाचं करने शिकायतकर्ता के साथ आ रहें जिससे रेत माफिया चंगेरी घाट समय पर पहोच जाए और पूरी प्लानिंग के तहत काम हो सकें!और ठीक बिल्कुल ऐसा ही हुआ खनिज निरीक्षक एक अंगरक्षक को लेकर चंगेरी घाट रोड पर खड़े शिकायतकर्ता संतोष चौरसिया अन्य पत्रकार साथी से खनिज निरीक्षक द्वारा कहा गया कि आप इतने लोग क्यों आए हो शिकायतकर्ता के अलावा किसी और को अनुमति नही है शिकायतकर्ता सिर्फ अकेले चले और दिखाए कि कौन सी जगह पर अवैध उत्खनन होता है! जैसे साहब जानतें ही नही कि कहा अवैध खनन हो रहा! सवाल यह है कि रेत माफिया द्वारा लीज खदान से ही रेत उठाई जा रही है अगर किसी प्रकार का अवैध खनन नहीं हो रहा तो जाचं करने या कराने और समाचार प्रकाशन से डर कैसा!अगर रेत ठेकेदार शासन द्वारा निर्धारित मापदंडो के अनुसार ही काम किया जा रहा तो फिर डर काहे का ! रेत ठेकेदार एवं उनके गुर्गो द्वारा यह कहा जाता है कि सिर्फ वही पत्रकार अवैध खनन की खबर छापता है जिसे पैसा नही मिलता तो मैं रेत ठेकेदार एवं उनके गुर्गों से पूछना चाहता हूं कि जब आप लोग अवैध उत्खनन नहीं कर रहे होतो फिर पत्रकारों को पैसा किस बात का दे रहे हो पत्रकारों को पैसा देकर रेत ठेकेदार एवं उनके गुर्गे खुद यह प्रमाणित कर रहे हैं कि केवई नदी चंगेरी घाट कटकोना घाट सहित अन्य नदी नालों से अवैध खनन हो रहा!क्योंकि पत्रकारों को पैसा वही देता है जो अवैध काम करता है जो चोरी करता है!पाठक तो पेपर और विज्ञापन का बिल लेकर पैसा दे देते है! खनिज निरीक्षक की इस तरह की जाचं से ऐसा प्रतीत होता है कि शायद शिकायतकर्ता संतोष चौरसिया को रेत माफियाओं के साथ मिलकर शिकायतकर्ता की आवाज को दबाने का कोई प्लान था! कुछ कहाँ नही जा सकता है रेत माफिया किसी भी हद तक जा सकते है!ऐसी एक नही अनेकों घटनाएं हो चुकी है! बहरहाल संतोष चौरसिया एवं साथी पत्रकारों की सूझबूझ से ऐसी कोई घटना घटित नहीं हुई अन्यथा खनिज निरीक्षक द्वारा भरपूर प्रयास किया जा रहा था कि शिकायतकर्ता संतोष चौरसिया किसी भी तरह से अकेले माफियाओं के बीच चंगेरी घाट पहुंच जाएं!कमीश्नर महोदय को इस खबर के माध्यम से अवगत कराना चाहता हूँ कि कोतमा सहित आसपास क्षेत्र की लीज धारी रेत खदानों की संभागीय स्तर पर जांच कराएं!
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