15 नवंबर को कोतमा रेल्वे स्टेशन पर नाराज आम-जन व्यापारी बंधुओं द्वारा रेल्वे स्टेशन प्रबंधक को एक ज्ञापन सौंपा गया है जिसमें यह उल्लेख किया गया कि 15 दिवस के अंदर अगर लोकल ट्रेन का परिचालन शुरू नही किया गया तो रेल रोको आंदोलन किया जाएंगा।
जिम्मेदार जन प्रतिनिधि रहें नादारत-
जनता के जन प्रतिनिधि कहें जानें वाले नेता रहें नादारत सवाल यह है कि नगर की आम जनता वोट देकर अपना एक जन प्रतिनिधि चुनती है जो वक्त जरूरत पड़ने पर आम जन की समस्याओं को अंधी बहरी सरकारों एवं प्रशासन तक पहोचाएगा।लेकिन आज के ज्ञापन सौंपने में नगर के जिम्मेदार नेता जन प्रतिनिधि कही नज़र नही आए इसका मतलब साफ है कि नगर के नेताओं व जन प्रतिनिधियों को नगर की आम जनता की समस्याओं से कोई लेना-देना नही है सिर्फ और सिर्फ चुनाव के वक्त जनता की याद आती है आमजन से तरह तरह के झूठे वादे कर कुर्सी पाने के बाद कोई मतलब नही जनता मरे तो मरे।
कही पार्टी बाहर का रास्ता न दिखा दे यही डर सता रहा
कही ऐसा तो नहीं कि सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी के नेताओं को यह डर सता रहा था कि अगर आमजन व्यापारियों का रेल रोको आंदोलन में समर्थन करेंगे तो आगामी विधानसभा नगर पालिका चुनाव में टिकट कट जाएंगी शायद यही कारण रहा होगा तभी तो भाजपा के जिम्मेदार आमजन व्यापारियों के साथ नज़र नही आए क्या आम जनता की समस्या आपकी समस्या नही है।अगर नही है तो पार्टी प्रेमी नेताओं से एक बात कहना चाहता हूँ कि पार्टी सिर्फ टिकट दे सकती है वोट नही वोट तो नगर की आम जनता व्यापारी ही देंगे वक्त आने पर पार्टी प्रेमी नेताओं को भी जनता जनार्दन के आगें झुकना पड़ेगा क्योकि जनता सर्वोपरि है ऐसे अनेकों उदाहरण है कि जिसे पार्टी ने ठेंगा दिखा दिया तो जनता ने उसे जीत का सेहरा पहना दिया।बहरहाल सैकड़ों नगर वासियों सहित युवा साथी व्यापारियों ने मिलकर अपनी समस्याओं के समाधान के लिए कोतमा रेल्वे स्टेशन प्रबंधक को ज्ञापन सौंपा गया।अब देखना यह है कि रेल प्रबंधन कब तक मांग पूरी करती है।
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