कोतमा- आमीन वारसी- गरीबों के मसीहा मंच से लच्छे दार भाषण देने वाले घोषणा वीर किसान हितैषी शिवराज सरकार एवं उनके घटिया स्तर के प्रशासनिक सिस्टम पर धितकार है जो गरीब किसानों पर इस कदर जुल्म ढा रहे है कि अब किसान इच्छा मृत्यु मांगने पर मजबूर हो चुका है। किसानों के इच्छा मृत्यु की मांग से यह साबित होता है कि प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान किसानों के प्रति कितने चिन्तित और प्रशासनिक अधिकारियों के प्रति कितने शख्त दिखाई पड़ रहें कि अनूपपुर जिले के अधिकारी कर्मचारियों के कानों में जू तक नही रेग रही जिम्मेदारों के इस रवैये से ऐसा प्रतीत होता है कि माननीय मुखिया जी का निर्देश ठेंगे पर है और सिर्फ दिखावे के लिए मंच पर शख्त नज़र आते है उसके बाद सब भूल जाते हैं।जिसका असर मध्यप्रदेश के अनूपपुर जिले में आसानी से देखा जा सकता है जहाँ जिला कलेक्टर अपर कलेक्टर भू अर्जन अधिकारी एस डी एम,एम पी आर डी सी अधिकारी,अपने कर्त्तव्यों का पालन नही कर रहें। क्योकि इन जिम्मेदारों को शिवराज के शख्त रवैये के पीछे की कहानी अच्छी तरह मालूम है कि शिवराज सिर्फ मंच पर आम जनता एवं मीडिया के सामने फिल्म नायक की तर्ज पर लापरवाह रिश्वत खोर भ्रष्टाचारी अधिकारी कर्मचारी के विरुद्ध कार्यवाही करने की बात करते है।और मंच से उतरने के बाद फिल्म हम साथ साथ हैं का किरदार निभाने लगते है शायद इसीलिए पीड़ितों को न्याय नहीं मिल पा रहा।कोतमा तहसील अंतर्गत पटवारी हल्का कल्याणपुर कोतमा बुढ़ानपुर बेलिया छोट रेऊदा डोला के सैकड़ों किसान लगभग चार वर्ष से एन एच सड़क नेशनल हाइवे पर अधिग्रहित भूमि का मुआवजा मांग रहें है।जिसके लिए कमिश्नर शहडोल अनूपपुर कलेक्टर भू अर्जन अधिकारी कोतमा एस डी एम,एमपी आर डी सी अधिकारी, सहित सांसद विधायक मंत्री एवं सी एम हेल्प लाइन में भी अपनी शिकायत दर्ज करवा चुके है। लेकिन धन्य है मध्यप्रदेश सरकार व उसका प्रशासनिक सिस्टम जो आज दिनांक तक पीड़ित किसानों को मुआवजा वितरण नही किया गया अब अंत में थक हार कर पीड़ित किसानों ने पत्र लिखकर देश के महामहिम राष्ट्रपति प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ग्रहमंत्री अमित शाह मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सहित तमाम जनप्रतिनिधि व प्रशासनिक अधिकारियों से इच्छा मृत्यु की मांग कर रहे हैं।वार्ड नं 7 बनिया टोला एल आई सी के पीछे निवासरत पीड़ित किसान जीवन लाल चर्मकार ने बताया कि मेरे द्वारा तमाम संबंधित जगहों पर पत्र लिखकर भेज दिया गया है अगर इसके बावजूद 15 दिवस के अंदर शासन प्रशासन द्वारा मुआवजा राशि नही दी जाती तो अपनी अधिग्रहित भूमि पर आत्म दाह करूँगा जिसकी जवाबदारी शासन प्रशासन की होगी।
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