Tuesday, January 8, 2019

कितना उचित है मीसाबंदी राजनैतिक कार्यकर्ताओं को पेंशन देना-वैशाली ताम्रकार



कोतमा/आमीन वारसी- मध्यप्रदेश कांग्रेस पार्टी की प्रदेश महिला सचिव श्रीमती वैशाली ने बताया कि क्या राजनैतिक उद्देश्यों के लिए यानि सत्ता प्राप्ति के लिए एक राजनैतिक पार्टी के कार्यकर्ताओं व नेताओं द्वारा किसी दूसरी विरोधी सत्तसीन पार्टी के खिलाफ चलाए गए आन्दोलनों में सक्रिय भागीदारी को सरकारी खजानों से आर्थिक पहुंचाना जनहित में सही कदम है। यह प्रश्न कौधता है। भाजपा सरकार द्वारा अपने कार्यकर्ताओं को पेंसन देने के फैसले पर एक तरफ ता केन्द्रीय व राज्य सरकारें अपने कर्मचारियों तथा अपने अधीन बैंक कर्मचारियों की पेंसन बंद कर हरे हैं केन्द्र सरकार द्वारा संचालित बैंकों के लगभग 30 हजार कर्मचारी /अधिकारी पेंसन के लिए केन्द्र सरकार की हठधर्मिता का खामियाजा भुगत रहे हैं लगभग 3 हजार कर्मचारी पेंसन के इंतजार में परलोक सिधार चुके हैं। दूसरी  तरफ ये सरकारें अपने कार्यकर्ताओं को पेंसन की खैरात बांट रहे हैं।  मध्यप्रदेश की तत्कालीन भाजपा सरकार द्वारा नेताओं के लिए सरकारी खजाना खोल दिया गया था और नेताओं ने जमकर मध्यप्रदेश में अपनी सरकार होने का फायदा उठाया मन चाहा पेंशन वेतन लिया और दूसरी ओर प्रदेश की आम जनता के साथ धोखा किया गया है खुद हजारों रूपये पेंसन ले रहे हैं और प्रदेश के करोड़ों विधवाओं परित्यागता बूढ़े माँता- पिता  विकलांग जैसे असहाय व्यक्तियों को मात्र पेंशन के रूप में 200 से 300 रूपये प्रति माह दिया जा रहा था वो भी कभी-कभी पेंशन पर आसरित लोगों को 2-3 माह तक पेंशन के लिए इन्तजार करना पड़ता है जो वास्तव में उक्त मिलने वाली पेंशन की पात्रता रखते है जो रूखा सुखा खाकर अपना जीवन यापन कर रहे है यह भी देखा जा सकता है कि उम्र दराज बुजुर्ग महिला पुरुष जिनका इस दुनिया में कोई भी सहारा नही है या जिनका सब कुछ है फिर भी दर दर की ठोकर खाने पर मजबूर हैं के ऐसे बुजुर्ग अपना पेट भरने के लिए मेहनत मजदूरी कर रहे है उन्हें मध्यप्रदेश सरकार द्वारा मात्र 2-3 सौ रुपये पेंशन दिया जा रहा था धन्य है हमारे  देश के चाल बाज़ नेता जो अपने राजनैतिक कारणों से जेल में बंद रहे उक्त नेताओं को 25 हजार रूपये प्रति माह पेंशन दिया जा रहा है यह प्रदेश की आम जनता के साथ छलावा नही तो और क्या है जिस आम मतदाताओं के बदौलत नेता कुर्सी और सत्ता संभालता है वही नेता आम जन मानस का कितना ख्याल रखता है यह प्रदेश की आम जनता तत्कालीन भाजपा सरकार की करनी और कथनी से भलि भाँति समझ चुकी है सरकार का खजाना नेताओं के लिए खुला हुआ है चाहें जितना वेतन पेंशन ले लो कोई रोकने टोकने वाला नही है जब मध्यप्रदेश की वर्तमान कमलनाथ सरकार ने फिजूल खर्च पर रोक लगाई जा रही है तो पेंशन धारी नेता कोर्ट जाने सहित धरना प्रदर्शन पर उतारू है देश प्रदेश की आम जनता यह जानना चाहती है कि आखिर क्यू नही  होना चाहिए पेंशन बंद आखिर किस बात का  आप पेंशन लेंगे आपने प्रदेश की जनता के हित के लिए आखिर क्या किया है।
कौन है ये मीसाबंदी- 1975 में तत्कालीन प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी द्वारा आपातकाल की घोषणा की गई थी तथा आंतरिक सुरक्षा के नाम पर मेन्टनेंस ऑफ इनटरनल सिक्योरिटी एक्ट यानि मीसा लागू कर दिया था जिसके तहत सरकार के खिलाफ जनता को आन्दोलन के लिए प्ररित करने वाले विभिन्न राजनैतिक नेताओं व कार्यकर्ताओं को जेलों में बंद कर दिया गया। लगभग सभी बडी पार्टी  विरोधी नेता मीसा में बंदी बनाए गए थे। लोगों ने मीसा को मेन्टनेस ऑफ संजय एक्ट नाम देकर खूब नारेबाजी की गई थी। उक्त आपातकाल के दौरान राजनैतिक दलों के साथ क्या हुआ या नहीं हुआ इससे आम जनता का कोई सरोकार नहीं है। अगर उक्त राजनैतिक कार्यकर्ताओं को मिलने वाली पेंसन पर रोक नहीं लगाई तो प्रदेश की आम जनता को भी पेंसन देना होगा। सरकारी खजाने सिर्फ नेताओं एवं कार्यकर्ताओं के लिए नही है । प्रदेश के सभी बृद्ध बेवा परित्यागता बुजुर्गो को उचित पेंशन मिलनी चाहिये।






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