कोतमा/आमीन वारसी-विधानसभा क्षेत्र- 86 केवई नदी के तट पर सत्ता का महासमर शुरू हो चुका है सियासत के बाहुबली एक दूसरे को ललकार रहे है युद्ध की तस्वीर दो प्रत्याशी के बीच नजर आने लगी है कांग्रेस-भाजपा की सेनाए सीधे तौर पर आमने-सामने है और पार्टी के असंतुष्ट विरोधी मैदान में खड़े ललकार रहे है भितरघात की धार तेज हो रही है कांग्रेस से सुनील सराफ को प्रत्याशी बनाये जाने पर दूसरा खेमा बगावती तेवर अख्तियार किये हुए है वही भाजपा से दूसरी बार विधायक बनने उतावले दिलीप जायसवाल का विरोध भी पार्टी का दूसरा खेमा सहित कोतमा विधानसभा क्षेत्र की आम जनता कर रही है दोनों दल के विरोधी खेमे अपनी-अपनी पार्टी से बगावत कर एक दूसरे की पार्टी का समर्थन करने की स्तिथि में दिखाई पड़ रहे है इसलिए मुकाबला और भी दिलचस्प हो गया है अब कौन सा खेमा कहा सेंध मारी कर रहा है और किस पार्टी को लाभ पहुंचाया जा रहा और किसे नुकसान यह तो समय बताएगा शहडोल संभाग की एकलौती समान्य सीट कोतमा विधानसभा से कांग्रेस के सुनील सराफ एवं भाजपा से दिलीप जायसवाल के बीच ही मुख्य मुकाबला होना तय माना जा रहा है।वही सपाकस पार्टी बहुजन समाज पार्टी गोंडवाना पार्टी अन्य निर्दलीय प्रत्याशी चुनाव को रोमांचक बना रहे है। लेकिन अपने लिए स्थान नहीं बना पाएंगे क्योकि इस क्षेत्र में अब तक किसी अन्य दल या निर्दलीय प्रत्याशी अपना स्थान नहीं बना पाए है यहा हमेशा से ही दो प्रमुख पार्टी कांग्रेस-भाजपा का दबदबा रहा है अब देखना यह है कि इस बार यहा के मतदाता आखिर किसके सर पर जीत का सेहरा बाँधता है यह तो समय पर ही साफ होगा लेकिन वर्तमान में निर्मित परिस्थितियां दोनों दलों के प्रत्याशियों में बेचैनी बढ़ा रहा है।चुनाव में अपना भाग्य आजमा रहे प्रत्याशियों ने पूरे विधानसभा क्षेत्र में दौड़ा कार्यक्रम तेज जरूर कर दिया है लेकिन क्षेत्र के मतदाताओं का रुख भापंने में रणनीतकार भी नाकाम साबित हो रहें है कोई भी प्रत्याशी इस चुनाव में बनते-बिगड़ते समीकरण के चलते जीत हार का दावा नहीं कर पा रहे है।
Monday, November 19, 2018
दिलचस्प मुकाबले के दौर से गुजर रहा कोतमा
कोतमा/आमीन वारसी-विधानसभा क्षेत्र- 86 केवई नदी के तट पर सत्ता का महासमर शुरू हो चुका है सियासत के बाहुबली एक दूसरे को ललकार रहे है युद्ध की तस्वीर दो प्रत्याशी के बीच नजर आने लगी है कांग्रेस-भाजपा की सेनाए सीधे तौर पर आमने-सामने है और पार्टी के असंतुष्ट विरोधी मैदान में खड़े ललकार रहे है भितरघात की धार तेज हो रही है कांग्रेस से सुनील सराफ को प्रत्याशी बनाये जाने पर दूसरा खेमा बगावती तेवर अख्तियार किये हुए है वही भाजपा से दूसरी बार विधायक बनने उतावले दिलीप जायसवाल का विरोध भी पार्टी का दूसरा खेमा सहित कोतमा विधानसभा क्षेत्र की आम जनता कर रही है दोनों दल के विरोधी खेमे अपनी-अपनी पार्टी से बगावत कर एक दूसरे की पार्टी का समर्थन करने की स्तिथि में दिखाई पड़ रहे है इसलिए मुकाबला और भी दिलचस्प हो गया है अब कौन सा खेमा कहा सेंध मारी कर रहा है और किस पार्टी को लाभ पहुंचाया जा रहा और किसे नुकसान यह तो समय बताएगा शहडोल संभाग की एकलौती समान्य सीट कोतमा विधानसभा से कांग्रेस के सुनील सराफ एवं भाजपा से दिलीप जायसवाल के बीच ही मुख्य मुकाबला होना तय माना जा रहा है।वही सपाकस पार्टी बहुजन समाज पार्टी गोंडवाना पार्टी अन्य निर्दलीय प्रत्याशी चुनाव को रोमांचक बना रहे है। लेकिन अपने लिए स्थान नहीं बना पाएंगे क्योकि इस क्षेत्र में अब तक किसी अन्य दल या निर्दलीय प्रत्याशी अपना स्थान नहीं बना पाए है यहा हमेशा से ही दो प्रमुख पार्टी कांग्रेस-भाजपा का दबदबा रहा है अब देखना यह है कि इस बार यहा के मतदाता आखिर किसके सर पर जीत का सेहरा बाँधता है यह तो समय पर ही साफ होगा लेकिन वर्तमान में निर्मित परिस्थितियां दोनों दलों के प्रत्याशियों में बेचैनी बढ़ा रहा है।चुनाव में अपना भाग्य आजमा रहे प्रत्याशियों ने पूरे विधानसभा क्षेत्र में दौड़ा कार्यक्रम तेज जरूर कर दिया है लेकिन क्षेत्र के मतदाताओं का रुख भापंने में रणनीतकार भी नाकाम साबित हो रहें है कोई भी प्रत्याशी इस चुनाव में बनते-बिगड़ते समीकरण के चलते जीत हार का दावा नहीं कर पा रहे है।
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