Wednesday, November 14, 2018

इनमें से कौन होगा कोतमा का रणबांकुरा




एकलौती समान्य सीट पर त्रिकोणीय घमासान

कोतमा/आमीन वारसी - शहडोल संभाग की एकलौती समान्य सीट कोतमा विधान सभा क्षेत्र में ऐसा चुनावी घमासान मचा हुआ है कि परिणाम के बारे में कुछ कह पाना जल्दबाजी होगी क्योकि कोतमा विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय और राष्ट्रीय पार्टी के प्रत्याशी मिलाकर लगभग एक दर्जन से अधिक नामांकन पत्र दाखिल किया गया है भाजपा से दिलीप जायसवाल कांग्रेस से सुनील सराफ सपाक्स पार्टी से किशोरी लाल चतुर्वेदी गोंडवाना पार्टी से राम खेलावन तिवारी बहुजन समाज पार्टी से आर के पांण्डेय कम्यूनिष्ट पार्टी से बाबू लाल एवं अन्य निर्दलीय नामांकन पत्र दाखिल किए गए  है अभी यह कह पाना मुश्किल है कि किसकी जीत होगी।टिकट वितरण के पूर्व जो कयास लगाए जा रहे थे उससे विपरीत स्थितियां दिखाई पड़ रही है पहले यह था कि भारतीय जनता पार्टी से राजेश सोनी और कांग्रेस पार्टी से मनोज अग्रवाल को प्रत्याशी बनाया जाएगा लेकिन दोनों पार्टी का अनोखा निर्णय आम जनता और समर्थक को सोचने पर मजबूर कर दिया है भारतीय जनता पार्टी ने वही पुराने प्रत्याशी को थोप दिया तो कांग्रेस पार्टी ने भारतीय जनता पार्टी को मात देने साफ सुथरी छवि एवं निर्विवाद युवा नया चेहरा को मौका दिया है नया चेहरा को चुनाव मैदान में उतारने से भाजपा की मुश्किलें बढ़ गई है क्योकि भाजपा ने वही पुराने चेहरे पर दाव लगाया है जिससे कोतमा विधानसभा क्षेत्र की आम जनता में काफी रोष व्यापत है लोगों का कहना है कि 2008 से 2013 तक दिलीप जायसवाल ने विधायक रहते हुए कोतमा विधानसभा क्षेत्र के लिए कोई ऐसा कार्य नहीं किया है जिससे विधानसभा क्षेत्र की जनता दिलीप जायसवाल को दोबारा वोट दे शिवराज और मोदी की उपलब्धि बताकर जनता से वोट न मांगें प्रत्याशी अपनी उपलब्धि बताए कि कोतमा विधानसभा क्षेत्र के कौन से गांव और कौन से नगर में विकास कार्य एवं जनता हित में कौन सा कार्य किया है पहले बताए फिर वोट देंगे इस तरह की पूरे विधानसभा क्षेत्र में चर्चा गर्म है। वही कांग्रेस प्रत्याशी का विरोध सिर्फ एक तरफा है और भाजपा प्रत्याशी का चौतरफा दिखाई पड़ रहा है कोतमा विधानसभा क्षेत्र में कई गुटों में बटी भाजपा से टिकट दावेदारी कर रहे थे वह बिल्कुल नहीं चाहते कि भाजपा प्रत्याशी चुनाव जीते और विधानसभा क्षेत्र की जनता में भी काफी नाराजगी देखने को मिल रही है जिसका सीधा फायदा कांग्रेस प्रत्याशी को मिल रहा सिर्फ एक ही नुकसान कांग्रेस प्रत्याशी का हो रहा वो है कोतमा विधायक मनोज अग्रवाल की नाराजगी से कांग्रेस पार्टी का कितना फायदा और कितना नुकसान होगा यह समय ही बताएगा  अभी तक कांग्रेस प्रत्याशी सुनील सराफ को कुछ खास नुकसान होता दिखाई नहीं पड़ रहा है क्योकि सिर्फ एक विरोध के बाद बाक़ी सारे लोग सारा दल एक साथ कांग्रेस प्रत्याशी के साथ खड़े दिखाई पड़ रहे है।

बाबा जी पड़ सकते हैं भारी- भारतीय जनता पार्टी से नाराज चल रहें सवर्ण समाज ने पूरे प्रदेश में सपाक्स पार्टी स्थापित की है जिसमें कोतमा विधानसभा क्षेत्र से ब्राहमण समाज के बेताज बादशाह किशोरी लाल चतुर्वेदी बाबा जी को प्रत्याशी बनाया गया है जो दोनों प्रमुख पार्टी का समीकरण बिगाड़ सकते है क्योकि अगर बाबा जी चुनाव मैदान में आए है तो निश्चित जीत के लिए आए है टाइम पास करने तो बिल्कुल नहीं अगर ब्राहमण समाज एकत्रित रहा तो दोनों प्रमुख पार्टी की नैया भी डूब सकतीं है कुछ कहा नहीं जा सकता।

जय-वीरू ने लिया नामांकन वापस-कोतमा विधानसभा के दो प्रमुख कददावर नेता भाजपा के राजेश सोनी उर्फ जय एवं कांग्रेस पार्टी के मनोज अग्रवाल उर्फ वीरू दोनो ही नेताओ को पार्टी द्वारा टिकट न दिये जाने से नाराज होकर 09 नवम्बर को जिला निर्वाचन कार्यालय मे निर्दलीय प्रत्याशी के रूप मे नामांकन दाखिल किया गया था लेकिन सूझ-बूझ से पार्टी एवं प्रत्याशी का विरोध न करते हुए 14 नवम्बर को जय-वीरू ने अपना नामांकन वापस ले लिया।



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