Tuesday, October 2, 2018

यही लगा सकते विधानसभा की नैया पार





कोतमा/आमीन वारसी-  प्रदेश में जैसे जैसे विधान सभा चुनाव नजदीक आ रहा है वैसे-वैसे प्रदेश का माहौल गर्म होता नजर आ रहा है सभी राजनैतिक दल आम जनता से पुनः कई वादो के साथ अपनी ओर आकर्षित करने में लगे हुए हैं एक तरफ मुखिया जी पूरे प्रदेश में गाँव नगर शहर डगर घूम घूम कर जनता का आशीर्वाद बटोर रहे है। वही कांग्रेस भी तैयारियों में है ऐसे ही मुद्दे उठाने के प्रयास में है जिससे भारतीय जनता पार्टी को नुकसान पहुंचा सकें बीजेपी के 15 साल शासन के बाद लोग अब शिवराज सिंह चौहान से काम काज पर सवाल करना चाहते है अब ऐसे में कांग्रेस इसका पूरा लाभ लेने के फिराक में है और शायद यही वजह है कि मीडिया और अन्य निजी एजेंसियो द्वारा किये गये सर्वे में कांग्रेस पार्टी की जीत की संभावनाए बताई जा रही है। सर्वे के मुताबिक इस बार चुनाव में 15 फीसदी वोटो से कांग्रेस के आगे रहने के आसार दिखाई पड़ रहें है ।भले ही शिवराज सरकार अपनीउपलब्धि या गिनाकर जनता को लुभाने का प्रयास कर रही है लेकिन जमीनी हकीकत तो यही है कि प्रदेश की आवाम में सरकार के प्रति काफी नाराजगी देखने को मिल रही है इसीलिए भाजपा नेताओं को गुस्से और वापस जाओ के जैसे विरोधी नारों का सामना करना पड़ रहा अगर आलम यही रहा तो बहोत बड़े पैमाने मे भाजपा के बुरे दिन आ सकतें है। 60 वर्ष में यह रहा समीकरण- 1957 से  विधानसभा चुनाव गठन हुआ  मध्यप्रदेश की 230 वीं विधानसभा सीट  कोतमा के प्रथम कांग्रेस विधायक हरिराज कुंवर रहे 1962 में  कांग्रेस से गिरजा कुमारी 1967 में कांग्रेस से के,एम सिंह 1972 में कांग्रेस से मृगेंद्र सिंह 1977 में जनता पार्टी से बाबू लाल सिंह विधायक रहे और 3 वर्ष में ही चुनाव हुए तो 1980 में कांग्रेस से भगवानदीन फिर 1985 में भी कांग्रेस के भगवानदीन विधायक  रहे है फिर 1990 में भारतीय जनता पार्टी आगाज़ हुआ जिसमें छोटेलाल मात्र तीन वर्ष ही विधायक रहे और 1993 में पुन  कांग्रेस की वापसी हुई और  राजेश नंदनी विधायक बनी 1998 एवं 2003 में भाजपा के जयसिंह मरावी व 2008 में दिलीप जायसवाल विधायक रहे 2013 वर्तमान में कांग्रेस पार्टी के विधायक मनोज अग्रवाल है अब तक कुल तेरह  विधानसभा चुनाव हुए जिसमें 8 पर कांग्रेस 4 पर  भाजपा और 1 जनता पार्टी के विधायक कोतमा विधान सभा क्षेत्र का नेतृत्व कर चुके है मतलब हमेशा से ही कोतमा विधान सभा काँग्रेस का गढ़ रहा है अब 14 चौदहवीं विधानसभा चुनाव की तैयारी चल रही है । इनका पल्ला रहेगा भारी- मध्यप्रदेश की 230 वीं एवं शहडोल संभाग की एकलौती समान्य सीट कोतमा विधान सभा क्षेत्र का दौरा किया गया तो पाया कि कोतमा विधानसभा क्षेत्र में भी भाजपा की स्थिति कुछ ठीक नहीं है यहाँ प्रत्याशी चयन पर ही तय होगा  किसकी होगी जीत और किसे हार का हार पहेन ना होगा। वैसे कोतमा विधान सभा क्षेत्र में चुनावी चर्चाओं के दौरान सबसे अहम चर्चाए पूर्व प्रत्याशी राजेश सोनी की होती है क्योकि हमने   कई ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर चुनावी समीक्षा की तो लोगों ने बताया कि हम लोगों से भूल हो गई थी जो 2013 विधानसभा चुनाव में विकास पुरुष नेता पूर्व  भाजपा प्रत्याशी राजेश सोनी का समर्थन नही कर पाएं जिससे पूरे 5 वर्ष बरबाद हो गये और क्षेत्र का विकास थम सा गया काश हम सब मिलकर विकास पुरुष नेता राजेश सोनी को विजयी बनाएं होते तो कोतमा नगर पालिका क्षेत्र की तरह कोतमा विधान सभा क्षेत्र में भी विकास की गंगा बह रही होती लोगों की विश्वसनीय बातों से ऐसा मालूम होता है कि अगर भारतीय जनता पार्टी  राजेश सोनी को पुनः प्रत्याशी बनाती है तो औरों के मुकाबले राजेश सोनी का पल्ला भारी रहेगा  वैसे पूर्व चुनाव में प्रत्याशी राजेश सोनी भाजपा की अंतर्कलह की वजह से अपनों के ही विरोध के कारण और कम समय में काफी कम अंतर से चुनाव हारे थे मगर उतना ही राजेश सोनी का जना धार बढ़ा है भारतीय जनता पार्टी व संगठन को कोतमा विधानसभा क्षेत्र की आम जनता सर्वे के आधार पर ही प्रत्याशी चयन कर घोषणा करनी चाहिए जिससे पार्टी की जीत सुनिश्चित हो सके ।

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