कोतमा- आमीन वारसी- हा भाई आप सब डिवीजन मजिस्ट्रेट के पद पर बैठे है आप कुछ भी कर सकतें चाहें फिर वो गलत ही क्यो न हो आप चाहें तो वर्षों से दर बदर भटक रहे किसानों की भूमि नेशनल हाइवे पर अधिग्रहित हुई भले ही मुआवजा वितरण न करें बल्कि किसानों के ऊपर भी एफ आई आर दर्ज करनें का आदेश दे दे क्योकि आप एस डी एम है किसानों के साथ धोखा धड़ी करने वाला तत्कालीन एस डी एम ही तो था जिसे हम मिलिन्द नागदेवे के नाम से जानते है जिसकी वजह से आज तक किसान दर दर भटक रहे हैं ऐसा नही है साहब सभी अधिकारी कर्मचारी दूध के धुले होते है कुछ चोर भी होते है अगर यह सच नही है तो नगर की जनता को आप ही बताइए कि किसानों द्वारा मुआवजा न दिए जाने की शिकायत मध्यप्रदेश सी एम हेल्प लाइन में की गई है तो फिर आप शिकायत वापस लेने का दबाव पीड़ित किसानों पर क्यो बना रहें वो इसलिए कि आप एस डी एम है पूर्व में भी पीड़ित किसानों ने सी एम हेल्प लाइन में शिकायत दर्ज कराई गई थी तो आप पीड़ित किसानों को झूठा आश्वासन देकर पिछली शिकायत वापस करवा चुके है तो फिर पीड़ित किसानों को मुआवजा आपने क्यो नही दिया अगर एस डी एम जैसे जिम्मेदार पदों पर बैठ कर जब इस तरह का कृत्य करेंगे तो आपत्तिजनक पोस्टर लगेंगे ही फिर चाहे आप एफ आई आर दर्ज करनें का आदेश देते रहें इससे कोई फर्क नही पड़ता क्योकि वैसे भी मुआवजा न मिलनें से पीड़ित किसान आपके कार्यालय और कमिश्नर कलेक्टर कार्यालय के चक्कर में उलझा हुआ है पहले बगैर मुकदमे के चक्कर काट रहा था अब मुकदमा दर्ज होने के बाद और चक्कर काट लेगा।लेकिन पीड़ित किसान एवं आम जनता आप जैसे लापरवाह निष्क्रिय अधिकारी कर्मचारी व भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज तो उठाएंगे ही एस डी एम साहब अगर यह सच आपकों कड़वा लग रहा तो हम क्या करें।एक पत्रकार समाज का दर्पण होने के नाते जनता की आवाज को इसी तरह बुलंद करता रहूँगा और शासन प्रशासन को इसी तरह आईना दिखाता रहूँगा अगर आप चाहें तो मेरे खिलाफ भी एफ आई आर दर्ज करनें आदेश दे दे।मगर इससे पहले आप नगर की आम जनता के सामने नगर के ह्रदय स्थल गाँधी चौक कोतमा में टेन्ट लगवाकर एवं प्रेस कांफ्रेंस करके यह बता दीजिए कि आखिर बीते 4 वर्ष से पीड़ित किसानों को आपके द्वारा मुआवजा वितरण क्यों नही किया गया आखिर क्या कारण है आप भी तो पीड़ित किसानों को गोल गोल घुमा रहें है।हमेशा जांच चल रही है जांच करा ले आखिर किस चीज की जांच करा रहें जबकि कमिश्नर शहडोल कलेक्टर अनूपपुर सहित आप स्वयं जानते है कि तत्कालीन कोतमा एस डी एम मिलिन्द नागदेवे और एमपी आर डी सी अधिकारी अवधेश तिवारी शहडोल ने मिलकर ही किसानों की मुआवजा राशि वितरण मामले में गोल माल किया है आपके कार्यालय का बाबू विवेकानंद श्रीवास्तव तो सिर्फ एक मोहरा है आप यह भी भलीभाँति जानते है साहब इस खेल के असली खिलाड़ी तत्कालीन कोतमा एस डी एम मिलिन्द नागदेवे और एमपी आर डी सी अधिकारी अवधेश तिवारी है क्यो ये सच है न अब इन पर एफ आई आर दर्ज करनें का आदेश दीजिए या फिर उच्च अधिकारियों से आदेश करवाइये लेकिन पीड़ित किसानों को आपकी जांच एवं किसी भी व्यक्ति पर एफ आई आर या कार्यवाही से क्या लेना देना पीड़ित किसानों को सिर्फ अपने हक का पैसा चाहिए जिसे आप देने में हीला हवाली कर रहें है जबकि बिना पीड़ित किसानों की सहमति के बिना मुआवजा दिए किसानों की पुस्तैनी कृषि भूमि अधिग्रहित कर ली अब आप ही कि बताईये पीड़ित किसानों को किसके विरूद्ध एफ आई आर दर्ज करानी चाहिए।बहरहाल समय रहते पीड़ित किसानों को मुआवजा वितरण नही किया गया तो एक दिन राजस्व विभाग के जिम्मेदार अधिकारी कर्मचारी के खिलाफ पीड़ित किसान निश्चित ही मोर्चा खोलेगा एफ आई आर भी दर्ज कराएगा साथ ही अपनी भूमि पर बनी नव निर्मित सड़क नेशनल हाइवे पर धरना प्रदर्शन एवं चका जाम करेंगा तो उस दिन सबसे पहले आप ही अपने दल बल सहित प्रशासनिक डंडा लेकर पहोचेगे पीड़ित किसानों का सर फोड़ने के लिए।पहले चोरी छिपे किसानों की भूमि अधिग्रहित कर नेशनल हाइवे सड़क का निर्माण करा दिया और अब पीड़ित किसानों को तरह तरह का झूठा आश्वासन दिया जा रहा है।अगर मूल नत्थी फाइल गुम हो गई है तो इसमें पीड़ित किसानों की क्या गलती दूसरी फाइल बना लीजिए एक बार फिर से किसानों की अधिग्रहित हुई भूमि का नाप करा लीजिए जिस किसान की जितनी भूमि अधिग्रहित हुई है उस हिसाब से किसानों को मुआवजा वितरण कर दीजिए क्योकि एस डी एम की कुर्सी पर बैठने वाले अधिकारी को ही भू अर्जन बनाया गया था और कोतमा एस डी एम की कुर्सी पर बैठने वाले अधिकारी ने ही किसानों की भूमि अधिग्रहित की थी और वर्तमान में कोतमा अनुविभागीय अधिकारी राजस्व की कुर्सी पर आप बैठें है।तो जनता सवाल आप से ही करेंगी अगर आप से सवाल नही करेंगी तो फिर किससे करेंगी क्योकि आप जनता के सेवक है और जो सरकारें आपकों वेतन दे रही वह भी आम जनता से टैक्स के रूप में ही वसूल कर दे रही है।
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