Sunday, July 18, 2021

समय पर पीड़ित किसानों को मुआवजा राशि नही दिए जानें के यह है असली जिम्मेदार


कोतमा- आमीन वारसी- एस डी एम और उनके बाबू की लापरवाही का दंश झेल रहे पीड़ित किसान।किसानों ने  बताया कि तत्कालीन एस डी एम एवं वर्तमान अनूपपुर जिला पंचायत सीईओ मिलिन्द नागदेवे व एस डी एम कार्यालय में पदस्थ बाबू विवेकानंद श्रीवास्तव की मिली भगत कहें या लापरवाही जो भी है इन दोनों की वजह से हम कृषकों को लगभग चार वर्ष से शहडोल छत्तीसगढ़ सीमा तक एन एच सड़क में अधिग्रहित हुई हमारी भूमि का मुआवजा आज दिनांक तक नही मिल सका।कई कलेक्टर कमिश्नर एस डी एम आए और गए लेकिन पीड़ित किसानों की किसी ने नही सुनी जब पीड़ित किसानों द्वारा उक्त मामले की शिकायत कमिश्नर शहडोल से की गई तो कमिश्नर साहब ने उक्त मामले का निराकरण करने कलेक्टर अनूपपुर को कह दिया कलेक्टर ने अपर कलेक्टर को कह दिया और अपर कलेक्टर ने कोतमा एस डी एम को कह दिया बस इसी तरह पीड़ित किसानों को लगभग चार वर्ष से गोल गोल घुमाया जा रहा है जबकि वर्ष 2017-18 में मध्यप्रदेश शासन एमपी आर डी सी द्वारा अधिग्रहित भूमि की मुआवजा राशि कोतमा एस डी एम के खाते में दी जा चुकी है लेकिन तत्कालीन एस डी एम मिलिन्द नागदेवे द्वारा पीड़ित किसानों से मुआवजा राशि देने के एवज में मोटी रकम की मांग की जा रही थी पीड़ित किसानों द्वारा घूस देने से मना कर दिया गया तो पीड़ित किसानों को कार्यालय का सैकड़ों चक्कर लगवाया जा रहा था फिर दो व्यक्ति तत्कालीन एस डी एम मिलिन्द नागदेवे को मोटी रकम देकर अपनी मुआवजा राशि प्राप्त कर लिए साहब ने अपना हिस्सा लेकर लगभग 60 लाख रुपए मुआवजा राशि उक्त दो व्यक्तियों को वितरण कर दिए  शेष बचे लगभग 32 पीड़ित किसान आज भी मुआवजा राशि पाने के लिए संभागायुक्त कार्यालय से लेकर कलेक्टर एस डी एम कार्यालय का प्रतिदिन चक्कर लगा रहे है। 

कलेक्टर साहब ने भी किया खेला- 

बीते दिनों उक्त मामले को तत्कालीन कलेक्टर चंद्र मोहन ठाकुर ने संज्ञान में लिया था और जांच कराई जिसमें यह पाया कि कोतमा एस डी एम कार्यालय में पदस्थ बाबू विवेकानंद श्रीवास्तव द्वारा मुआवजा राशि वितरण मामले में लापरवाही बरती गई है इसलिए दोषी पाए जाने पर विवेकानंद श्रीवास्तव को निलंबित कर दिया वही तत्कालीन कोतमा एस डी एम व वर्तमान जिला पंचायत सीईओ मिलिन्द नागदेवे अपने आपको डरा हुआ महसूस कर रहें थें हो सकता है यह दोनों एग्रेड अधिकारी आपस में समझौता कर लिए हो लेकिन  पीड़ित किसानों को लगा कि कलेक्टर महोदय जल्द ही मुआवजा राशि वितरण कराएगे लेकिन कुछ दिन बाद उक्त मामले को जानबूझकर ठंडे बस्ते में डाल दिया गया जब मामला ठंडा हुआ तो तत्कालीन कलेक्टर चंद्र मोहन ठाकुर ने विवेकानंद श्रीवास्तव को पुनः कोतमा एस डी एम कार्यालय में बाबू के पद पर बहाल कर दिया और मिलिन्द नागदेवे भी मस्त होकर जिला पंचायत सीईओ की कुर्सी का सुख भोग रहे है।इसका मतलब साफ है कि तत्कालीन कलेक्टर चंद्र मोहन ठाकुर द्वारा पीड़ित किसानों को लाली पाप दिया गया था कि चूसते रहों और साहब खेला करके चल दिए अब खेला कितने का किए यह तो साहब ही जानें।
 
मात्र एक दिन में ही हम किसानों को मिल सकती है मुआवजा राशि-  

पीड़ित किसानों ने बताया कि हम किसान भारत देश के कानून व संविधान का सम्मान करने वाले लोग है इसलिए शासन प्रशासन से  निवेदन करके प्रतिवेदन देकर न्याय की मांग कर रहे हैं।अन्यथा हम किसान जिस दिन अनशन और आंदोलन का रास्ता चुन लिया उस दिन शासन प्रशासन के लोग नाक रगड़ कर मुआवजा राशि देने हमारे घर पर आएंगे शायद इसी घड़ी का शासन प्रशासन को इन्तजार है तो कोई बात नही अगर शासन प्रशासन हम पीड़ित किसानों को 15 दिवस के अंदर नेशनल हाइवे पर अधिग्रहित भूमि का मुआवजा नही दिया गया तो हम सभी  जीवन लाल चर्मकार ज्ञान सिंह हिमांशु अग्रवाल अब्दुल सकूर लगभग 32 पीड़ित किसान मजबूर होकर नेशनल हाइवे पर चका जामकर धरना देंगे उसके बाद हमारी भूमि पर नव निर्मित नेशनल हाइवे सड़क को जेसीबी मशीन लगाकर उखाड़ फेके गे जिसकी जवाबदारी कमिश्नर शहडोल एमपी आर डी सी शहडोल अनूपपुर कलेक्टर कोतमा एस डी एम की होगी। और पूर्व की तरह हम सभी किसान अपनी भूमि पर कृषि कार्य कर अपना व अपने परिवार का भरण-पोषण करेंगे।

इनका कहना:जब इस संबंध में अनूपपुर अपर कलेक्टर सरोधन सिंह जी से उनके मोबाइल नं 9425002541 पर बात करने की कोशिश की गई तो साहब ने फोन उठाना मुनासिब नही समझा।

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