Sunday, May 3, 2020

एक शहंशाह ने बना के हंसी ताज महल हम गरीबों की मोहब्बत का उड़ाया है मज़ाक-वैशाली ताम्रकार

 कोतमा/आमीन वारसी- काँग्रेस नेत्री श्रीमती वैशाली बद्री ताम्रकार ने बताया कि बहोत पहले शायर शाहिद लुधयानवी ने एक शेर कहा था एक शहंशाह ने बनाके हंसी ताज महल हम गरीबों की मोहब्बत का उड़ाया है मज़ाक ऐसा लगता है कि देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी दिल्ली के अंदर एक ताज महल बनवाकर गरीबों की मोहब्बत या गरीबों पर जो संकट है जो तकलीफ है एक तरीके से उसका मज़ाक बनाना चाह रहे है।हम बात कर रहे हैं।सेन्ट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के बारे में हम यह बात इसलिए कर रहे हैं कि इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी जिस पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई उक्त मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल कोई रोक नही लगाई यानि प्रोजेक्ट आबाद गति से चलता रहेंगा।वैसे तो देश में कोई इमारत बनती है तो देश का नागरिक होने के नाते हमें क्यो आपत्ति होनी चाहिए और अगर नई संसद बन रही हो तो भी हमें क्यो आपत्ति होनी चाहिए।लेकिन आपत्ति होनी चाहिए इसलिए आपत्ति होनी चाहिए कि जब देश का पूरा ध्यान कोरोना से लड़ने में होना चाहिए क्योकि एक ऐसा संकट जिसके बारे में किसी ने सोचा नही था एक ऐसा संकट जिससे पूरी दुनिया इस वक्त लड़ रही है एक ऐसा संकट जो देश की अर्थव्यवस्था को देश की सामाजिकता देश के भविष्य को पूरी तरह तबाह व बरबाद कर सकता है देश के अंदर बेरोजगारो की एक फौज खड़ी कर सकता है।लोगों को आकाल जैसी स्थिति में लाकर खड़ा कर सकता है लोगों को भुखमरी से मरने पर मजबूर कर सकता है।क्या ऐसी स्थिति में दिल्ली शहर के अंदर एक नए संसद बनाने की जरूरत है जिस पर 20000 बीस हजार करोड़ रुपये खर्च आएगा।यह सवाल हम भी पूछ रहें है और जनता भी पूछ रही है और सवाल इसलिए भी जरूरी है अगर देखा जाए तो देश में नए संसद बनाने नए राजपथ निर्माण की कही कोई जरूरत है ही नहीं क्योकि संसद पहले की तरह अपना काम कर रही राजपथ पहले की तरह चल रहा है।कही किसी तरह की न तो इमरजेन्सी है न ही किसी तरह की आकस्मिकता है और न ही किसी एक्सपर्ट ने इस मामले में कोई बातचीत की है।ऐसे में यह सवाल उठना जरूरी हो जाता है कि आप नया संसद क्यो और किसलिए बना रहें है।हो सकता है कि लोग जैसे ताज महल को देखकर शाहजहाँ को याद करते ऐसी ही एक सोच मोदी जी की भी हो सकती है कि लोग दो तीन सौ साल बाद जब दिल्ली का जिक्र करें तो मोदी जी का नाम भी आए कि मोदी जी ने एक शानदार  इमारत बनवाई थी।अपने आप में यह ख्याल बहोत अच्छा है लेकिन आज के मौसम में यह ख्याल अपने आप में बहोत बुरा है यह एक ऐसा काम है जो लोगों के घाव पर नमक व मिर्च मलने जैसा है।इसमे काफ़ी विवाद है इस विवाद की कड़ी में 7 अप्रैल को अंतरिम राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गाँधी जी ने प्रधान मंत्री मोदी जी को एक चिठ्ठी लिखी थी चिठ्ठी में यह कहा था कि सेन्ट्रल विस्टा प्रोजेक्ट में आप जो बीस हजार करोड़ रुपये खर्च कर रहें है उस पर रोक लगा दे साथ ही सांसद मंत्रियों की विदेश यात्रा पर भी तुरंत रोक लगा दीजिए और भी बहोत से सुझाव दी थी साथ ही अन्य दलों के कई वरिष्ठ अनुभवी बुजुर्ग नेताओं ने भी सोनिया गाँधी जी के सुझाव पर अपनी सहमति जताते हुए कहा था कि ऐसे समय में इस तरह की फिजूल खर्ची शर्मनाक है।लेकिन प्रधानमंत्री जी इन सुझावों पर कोई विचार नही किया जबकि इन दिनों देश पैसे पैसे एक एक कौड़ी को मोहताज है ये हम नही प्रधानमंत्री भारत सरकार खुद इस बात को मान रही है।एक तरफ कोरोना से लड़ने के लिए पीएम केयर फंट में देश के शासकीय कर्मचारी अधिकारी व्यापारी अभिनेता सहित आमजन लाखों करोड़ों रुपये जमा कर रहे हैं जो कोरोना वायरस की महामारी से लड़ने में काम आएगी वही दूसरी तरफ प्रधान मंत्री बीस हजार करोड़ रुपये फिजूल खर्च करने में लगें हुए है यह सरासर जनादेश का अपमान है।

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